गैर-जमानती वारंट के पर्याप्त आधार मनोरमा कुच्छल की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने कहाकि, नोएडा की सीईओ के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए पर्याप्त आधार है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 13 मई को पुलिस रितु माहेश्वरी को हिरासत में लेकर अदालत के सामने पेश करेगी।
सीईओ की मर्जी से कोर्ट चलेगा? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, अदालत ने सुबह 10 बजे हाजिर होने का निर्देश दिया था, लेकिन, उन्होंने ऐसी फ्लाइट चुनी, जो दिल्ली से 10.30 बजे उड़ान भरेगी। क्या अब सीईओ की मर्जी से कोर्ट चलेगा? क्या उनकी सुविधा के हिसाब से कोर्ट चलेगा?”
हाईकोर्ट का एतराज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल के आदेश में रितु माहेश्वरी को 4 मई को हाजिर होने का आदेश दिया था। पर वह उस दिन कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। उनके वकील ने सुनवाई में कोर्ट को बताया कि, रितु महेश्वरी फ्लाइट से आ रही हैं। उनकी फ्लाइट 10.30 बजे दिल्ली से उड़ान भरेगी। इस पर कोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा कि उन्हें 10 बजे हाजिर हो जाना चाहिए था। कोर्ट ये कहाकि, अवमानना के दायरे में आता है।
मामला जानें क्या है नोएडा के सेक्टर-82 में प्राधिकरण ने 1990 को अर्जेंसी क्लोज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था। इसमें 6 हजार वर्ग मीटर जमीन सिटी बस टर्मिनल के बगल सड़क साइट में दे दी गई और 2520 वर्ग मीटर सड़क बनाने में इस्तेमाल कर ली गई। इस मामले में प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता से 5060 प्रति वर्ग मीटर से मुआवजा लेने को कहा, पर याचिकाकर्ता ने सिटी बस टर्मिनल को कमर्शियल प्रोजेक्ट बताया और कहा कि, उनकी जमीन कमर्शियल प्रोजेक्ट के अंदर है।
अथॉरिटी ने आदेश नहीं माना उन्होंने कमर्शियल प्रोजेक्ट पर तय सर्किल रेट हिसाब से मुआवजा की मांग की पर प्राधिकरण नहीं माना। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था और सर्किट रेट से दोगुने दर पर मुआवजा देने का आदेश दिया था। जिसको अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन यहां भी प्राधिकरण की हार हुई। पर अथॉरिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया गया।