युनुस इस बात को दुखी और बुझे मन से कहते हैं। वह एक तरफ तो फख्र महसूस करते हैं कि उनकी प्यारी अमीरजहां ऐसी थी। दूसरी तरफ निराश कि उनकी खराब किस्मत अभी और कितने बुरे दिन दिखाएगी। गरीबी का सबसे बुरा दौर देखा। अब इससे ज्यादा बुरा और क्या होगा कि पत्नी भूख से तड़प कर मर गई। बच्चों का पेट पड़ोसियों ने भरा।
बकौल युनुस, अमीरजहां घर की यह दशा और बच्चों की दुर्दशा देखकर चिंता में घुली जा रही थीं। वह बच्चों की पढ़ाई नहीं होने से भी चिंतित थीं। घर में राशन नहीं था, तो बच्चे पानी पीकर सो जाते। पड़ोसियों को पता चला तो उन्होंने खाना दिया, लेकिन अमीरजहां पहले बच्चों को खाना खिलातीं, खुद भूखे रहीं। शरीर कमजोर होता गया। एक दिन ऐसा आया, जब वह इन सब दुखों से मुक्त हो गईं।
युनुस अपनी बेेबसी बयां करते हुए बताते हैं कि हमारी बदकिस्मती देखिये सबको सस्ते दर पर अनाज खरीदने के लिए राशन कार्ड मिले हैं। हमारे पास वह भी नहीं है। तीन साल पहले फॉर्म भरा, लेकिन बनकर नहीं आया। गरीबों के लिए मकान देने की योजना आई। उसके लिए भी फॉर्म भरा, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
युनुस के मुताबिक, पड़ोसियों ने उनके परिवार की बहुत मदद की। इसी का नतीजा है कि आज उनकी तीनों बेटियां तबस्सुम, रहनुमा और मुस्कान जिंदा हैं। पड़ोसियों ने खाना नहीं दिया होता तो शायद वह भी आज उनके सामने नहीं होतीं।
जब मैंने उन्हें बताया कि उनकी अमीरजहां की मौत भूख नहीं बल्कि टीबी नाम की भयानक बीमारी से हुई। और यह मैं नहीं, मुरादाबाद प्रशासन की रिपोर्ट में लिखा है, जो अमीरजहां की मौत के एक दिन बाद जारी की गई। प्रशासन को यह रिपोर्ट आनन-फानन में तब जारी करनी पड़ी, जब पत्रिका डॉट कॉम ने परिवार और पड़ोसियों के दावे के आधार पर यह सार्वजनिक किया अमीरजहां ने बीते छह दिन से कुछ नहीं खाया था और उनकी मौत भूख से तड़प-तड़प कर हो गई।
युनुस के अनुसार, प्रशासन ऐसी बीमारी बता रहा है, जो उसे थी ही नहीं। मैंने अमीरजहां की जांच कराई थी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई थी। अगर उसे टीबी होती तो उसका इलाज क्यों नहीं कराता। टीबी का इलाज तो मुफ्त होता है न, फिर। प्रशासन की रिपोर्ट गलत है। युनुस को इस बात का भी मलाल है कि अस्पताल में मौत के बाद अमीरजहां का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया, वरना यह सच्चाई सबके सामने होती और यह रिपोर्ट बनाने की किसी की हिम्मत नहीं होती। हालांकि, मुरादाबाद जिला अस्पताल के कुछ विश्वस्त सूत्रों ने मुझसे परिवार के दावे की पुष्टि की। उन्होंने मुझे बताया कि अमीरजहां जब अस्पताल लाई गईं, तब वह काफी कमजोर थीं। उनके पेट में अनाज का एक भी दाना नहीं था।
(आप यह खबर पत्रिका डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। बता दें कि पत्रिका डॉट कॉम यूपी में बीते कुछ महीनों में भूख से हुई मौतों पर श्रंखला चला रहा है। यह उसी कड़ी में तीसरी किस्त है। इससे पहले दूसरी किस्त में आपने पढ़ा- यह पढ़ने के बाद आपको शर्मिंदगी होगी कि हम किस समाज में रह रहे हैं
युनुस खुदा वास्ते घर जल्दी आओ, बच्चे भूख से तड़प रहे हैं, अब मैं मर जाऊंगी अगली यानी चौथी किस्त आप 15 फरवरी को पढ़ेंगे —”हम तीन दिन पानी पीकर सोए, अम्मी भूख से मर गईं” यह सुनने के बाद बहुत मुश्किल से मैं वहां रुका रहा” —)