उन्होंने बताया कि ओपन हार्ट सर्जरी से इलाज करना जोखिम भरा कदम है। लेकिन मौजूदा समय में अनुसंधान के कारण हम एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प की ओर हैं। भारत में हार्ट की बीमारी बढ़ रही हैं। इसका मुख्य कारण शुगर है। अब नई तकनीक के ईजाद होने से बगैर हार्ट को ओपेन किये बिना उसे बदल सकते हैं। इस तकनीकी का लाभ 90 साल उम्र के व्यक्ति भी ले सकते हैं। जबकि पहले ऐसा संभव नहीं था। यह एक चमत्कारी प्रयोग है।
डॉक्टर के मुताबिक हार्ट का समय पर इलाज ने होने पर शरीर की शक्तियां क्षीण होने लगती है। उसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। जिससे हार्ट पूरी तरह खराब हो जाता है। शरीर में एक हार्ट होती है, जबकि किडनी दो होती हैं। ऐसे में हार्ट प्राप्त करने के लिए दिक्कतें होती थीं। लेकिन, अब आर्टिफिशियल हार्ट बनने से और उसका उपयोग होने से रिक्स कम हो गया है।
उन्होंने बताया कि मैक्स अस्पताल दिल्ली साकेत द्वारा अब तक 20 आर्टिफिशियल हार्ट का ऑपरेशन कर लोगों को नया जीवनदान दिया गया है। इस सर्जरी से 15 से 20 वर्ष तक व्यक्ति आसानी से जिंदा रह सकता है। इस सर्जरी में आर्टिफिशियल हार्ट लगाने में 90 लाख रुपए का खर्च आता है। यह तकनीक 2002 में फ्रांस में प्रयोग की गई थी और 2011 में इसका लाइसेंस जारी हुआ। भारत में 2016 में इसका लाइसेंस मिला। अब भारत की 2 कंपनियां इसे बनाने में जुटी है।
उन्होंने बताया कि अभी यह आर्टिफिशियल हार्ट यूएसए में बनाया जा रहा है। अब इस पर भारत में भी खोज की जा रही है और इस पर कार्य चल रहा है।आर्टिफिशियल हार्ट को सबसे पहले लैब में टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद इसका प्रयोग जानवरों पर किया जाएगा। फिर इसको मनुष्य पर प्रयोग किया जाएगा। भारत में इसके बनने में मात्र 20 लाख रुपए खर्च का आएगा।