हर रोज बिना हेलमेट पहने दुपहिया वाहन चलाने वाले लोगों के चालान भी किए जाते हैं। हालांकि लोग चालान से बचने के लिए कई दफा खराब क्लाविटी के हेलमेट खरीद लेते हैं। भले ही ये हेलमेट लोगों को ट्रैफिक चालान से बचा लें, शायद उनकी जिंदगी न बचा पाए। अक्सर देखा जाता है कि हेलमेट फटने से लोगों की जान चली जाती है।
BIS ने नए हेलमेट स्टैंडर्ड की घोषणा की इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए देश में नए हेलमेट आने वाले हैं। इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने नए स्टैंडर्स के आधार पर नए हेलमेट लाने की हाल ही में घोषणा की है। अब देश में बिकने वाले हेलमेट की क्लालिटी में सुधार किया जाएगा और लोकल क्वालिटी के हेलमेटों पर रोक भी लगाई जाएगी। बताया जा रहा है कि 15 जनवरी 2019 से स्टैंडर्ड क्वालिटी के हेलमेट के लिए नियम लागू किया जाएगा। जिसके बाद देश में कंपनियों को नए स्टैंडर्ड के मुताबिक ही हेलमेट की मैन्युफैक्चरिंग करनी होगी।
इतना होगा हेलमेट का वजन बता दें कि फिलहाल बाजार में जो हेलमेट मौजूद हैं उनमें से बहुत से मानकों के अनुसार नहीं होते। अभी तक हेलमेट का वजन 1.5 कि.ग्रा होता है, लेकिन नए नियम लागू होने के बाद हेलमेट का वजन 1.2 किलोग्राम होगा। इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट मंत्रालय भी यह ऐलान कर चुका है कि नॉन -आईएसआई स्टैंडर्ड वाले हेलमेट बेचना अपराध मना जाएगा। जो दुकानदार मानकों व नियकों का पालन नहीं करेगा उस पर भारी जुर्माना लगया जाएगा।
जारी हुई नई गाइडलाइन -हेलमेट बनाने के लिए भारत ट्रांसपोर्ट मंत्रालय द्वारा नई गाइडलाइन जारी की गई हैं। -हेलमेट बनाने के लिए इंपेक्टअब्सॉर्प्शन टेस्ट को जोड़ा गया। इसमें कर्ब स्टोन एनविल का इस्तेमाल, इम्पेक्ट वेलोसिटी को बढ़ाना और हेड इंजरी के क्राइटेरिया को बढ़ाया जाना है।
– हेलमेट को अलग-अलग तापमान पर करना होगा टेस्ट । – हेलमेट की तह की घर्षण सहने का क्षमता को परखने के लिए कुछ और टेस्ट को जोड़ा गया है।
दुपहिया वाहन चालकों को होगा फायदा सेक्टर-9 स्थित ऑटो मार्केट में हेलमेट की दुकान करने वाले सुरेश पंडित का कहना है कि लोगों को आईएसआई मार्का हेलमेट ही लेना चाहिए। लेकिन कई बार लोग ट्रैफिक पुलिस और चालान से बचने के लिए लोकल हेलमेट भी खरीद लेते हैं, जो कि जिंदगी के साथ एक तरह से खिलवाड़ है। वहीं अब सरकार द्वारा जो नए स्टैंडर्ड के हेलमेट लाने की बात कही गई है उससे लोगों को बड़ा फायदा होगा और कहीं न कहीं दुर्घटनाओं में भी मौत के आंकड़ों पर कंट्रोल होगा।