नई दिल्ली/नोएडा। “तनि नाची के, तनि गाई के, तनि नाची-गाई के लोगन के दिल बहलाव हे भैया” गाने से पूर्वांचली लोगों के दिल में उतर चुके मनोज तिवारी एक नई जिम्मेदारी के साथ दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष का पद सम्भाल चुके हैं। यूं तो उनकी नई जिम्मेदारी सीधे-सीधे दिल्ली में नगर निगम चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाना बताई जाती है, लेकिन पार्टी उनकी लोकप्रियता का फायदा यूपी चुनाव तक में भुनाने की कोशिश करेगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक वे यूपी के पूर्वांचल के क्षेत्र में पार्टी के सघन प्रचार का हिस्सा होंगे।
पूर्वांचल में रॉक स्टार हैं तिवारी
बीजेपी के एक राष्ट्रीय नेता के मुताबिक मनोज तिवारी की छवि यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में एक रॉक स्टार वाली है, इसलिए पार्टी उनकी इस छवि का लाभ जरूर उठाना चाहेगी। बीजेपी नेता की बात पर यकीन करें तो मनोज तिवारी शीघ्र ही दिल्ली के उन इलाकों में सघन प्रचार करते नज़र आएंगे जहां पूर्वांचली मतदाता भारी संख्या में रहते हैं। दिल्ली के सोनिया विहार, आनन्द विहार, आनन्द पर्वत, नांगलोई, संगम विहार, त्रिलोकपुरी और उत्तम नगर ऐसे क्षेत्र हैं जहां पूरब से आये लोग भारी संख्या में रहते हैं।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इन पूर्वांचली मतदाताओं में बड़ी संख्या में पूर्वी उत्तर प्रदेश के वे मतदाता शामिल हैं जो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी मतदान करते हैं। ऐसे में इन मतदाताओं पर पार्टी की अच्छी छवि का फायदा यूपी तक में भी मिलेगा, पार्टी को ऐसी उम्मीद है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का कारण बने थे पूर्वांचली
पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। अरविन्द केजरीवाल ने ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए दिल्ली के 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर अप्रत्याशित जीत हासिल कर सबको हतप्रभ कर दिया था। इस चुनाव में भाजपा को महज तीन सीटें हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुला।
चुनाव में नहीं लगाया था जोर
दिल्ली भाजपा के पूर्वांचल प्रकोष्ठ के एक शीर्ष अधिकारी की मानें तो भाजपा की इस दुर्गति के पीछे पूर्वांचली लोगों की उपेक्षा करना ही मुख्य कारण था। इस नेता के अनुसार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने टिकटों को बांटने में खूब मनमानी की। यह जानते हुए भी कि पूर्वांचली मतदाता दिल्ली की अनेक सीटों पर निर्णायक स्थिति में हैं, उन्होंने टिकट बांटने में पूर्वांचलियों को टिकट नहीं दिए। यहां तक कि दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को भी टिकट नहीं दिया गया।
बीजेपी नेता के अनुसार ऐसी स्थिति में पूर्वांचली नेताओं ने चुनाव में बिल्कुल जोर नहीं लगाया, उलटे लोगों को दूसरी जगह वोटिंग करने के लिए प्रेरित करते रहे।
दिल्ली के कारण हुई बिहार में हार
बीजेपी के अनेक शीर्ष नेताओं का मानना है कि अगर बीजेपी की दिल्ली में इतनी करारी हार न हुई होती तो बिहार चुनाव में भी पार्टी की इतनी बुरी हार न हुई होती। माना जाता है कि दिल्ली के पूर्वांचली मतदाताओं ने बिहार तक में दिल्ली की नाराजगी दिखाई और उसे हार का सामना करना पड़ा। उसी बात को ध्यान में रखें तो यह समझ में आ जाता है कि पूर्वांचलियों की भूमिका यूपी चुनाव में भी महत्वपूर्ण होगी। जो सन्देश वे दिल्ली से लेकर यूपी में जाएंगे, उसका असर यूपी चुनाव में भी जरूर दिखाई पड़ेगा।