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जानकारी के अनुसार, मार्च माह में उषा ठाकुर ने प्रतिनिधि चैनल के मालिक आलोक को डॉ. महेश शर्मा से यह कहकर मिलवाया था कि चुनाव में मदद करेगा। उसी दौरान कथित वीडियो बनाया गया था और 10 करोड़ रुपये की मांग की गई। उसके बाद मार्च माह में ही कई बार इनके बीच मीटिंग हुई। 9 अप्रैल को गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर प्रचार थमा था। उस दिन भी आलोक ने केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा से रुपये ऐंंठने की कोशिश की थी। लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका। 9 अप्रैल को रिटायर्ड डीएसपी के घर रात को बैठक भी हुई थी। निशु को कैलाश अस्पताल भेजा गया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। बता दें कि केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा से प्रतिनिधि चैनल के मालिक आलोक की सहयोगी निशु 22 अप्रैल को रंगदारी की पहली किस्त 50 लाख रुपये लेने के लिए पहुंची थी। नोएडा पुलिस ने उसी दिन निशु को गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद पुलिस ने आलोक और नीशू को गिरफ्तार किया। इन्होंने महेश शर्मा से 10 करोड़ रुपये मांगे थे। आरोप है कि गिरफ्तार हुई उषा ठाकुर ने मुख्य आरोपी आलोक सिंह को मंत्री से मिलवाने, पैसा मांगने और स्टिंग करवाने में उनकी भूमिका थी। 22 अप्रैल को ही कैलाश अस्पताल में डॉ. महेश शर्मा ने प्रेस कान्फ्रेंस कर पूरे मामले का विवरण मीडिया के सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि उषा ठाकुर को मैं 30 वर्षों से जानता हूं। वह मेरी बड़ी बहन की तरह हैं। इस मामले में उनका कोई दोष नहीं है। वहीं, उषा ठाकुर ने खुद को बेगुनाह बताया था।
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