दरअसल, एओए का गठन हो या फिर रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन के रजिस्ट्रेशन की बात, हर काम के लिए यहां के लोगों को मेरठ मंडल स्थित कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इतना ही नहीं, किसानों की भूमि के विवाद के मामले में भी जिलाधिकारी कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए भी किसानों को मेरठ जाना पड़ता है। जिसके चलते अब राजनीतिक गलियारों में गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद और बुलंदशहर को मिलाकर एक नया मंडल बनाने की मांग उठने लगी है। फिर चाहे भाजपा को, कांग्रेस हो, सपा हो या बसपा, इस मामले में सभी राजनीतिक पार्टियों का एक सुर में यह कहना है कि मेरठ मंडल से इन तीन जिलों को अलग कर एक नया मंडल बना देना चाहिए।
जानकारों की मानें तो नया मंडल बनने से इन तीनों जिलों के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, आईजी व डीआईजी, सोसायटी या कंपनी के रजिस्ट्रेशन और बिजली आदि से जुड़े सभी मंडलीय कार्यालय शिफ्ट होकर मंडल मुख्यालय में आ जाएंगे, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
जानें क्या है इतिहास बता दें कि 1997-98 से पहले मेरठ मंडल में 6 जिले आते थे। तब हरिद्वार, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर इसमें शामिल हुआ करते थे। 1997-98 में तीन जिले हरिद्वार, सहारनपुर व मुजफ्फरनगर को मिलाकर एक नया मंडल बना दिया गया। वहीं हरिद्वार के उत्तराखंड में मिल जाने के बाद 2011 में शामली एक नया जिला बना। वर्तमान में मेरठ मंडल में मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, हापुड़, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर जिले शामिल हैं।
क्या कहते हैं पूर्व आईएएस पूर्व आईएएस गणेश शंकर त्रिपाठी के अनुसार एक नए मंडल का गठन करना अब समय की मांग है। उक्त तीनों जिलों की आबादी करीब एक करोड़ हो चुकी है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के साथ-साथ अब जेवर में एयरपोर्ट व फ्रेट कॉरिडोर बनने से शासन को ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अब कमिश्निरी बना देनी चाहिए।
जानें क्या कहते हैं राजनीतिक दल भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन का कहना है कि भाजपा हमेशा से ही जनसुविधाओं की पक्षधार रही है। जनता को बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था मिले, ये हमारी पार्टी की प्राथमिकता है। अगर इसके लिए नए मंडल का गठन होता है तो ये अच्छा कदम होगा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव अजित दौला का कहना है कि समय की बर्बादी रोकने और प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करने के लिए भाजपा को गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर के लिए एक नया मंडल बनाना जरूरी है। इस मुद्दे पर कांग्रेस आवाज उठाएगी।
बसपा के पूर्व कोऑर्डिनेटर नरेश जाटव का कहना है कि कभी साहिबाबाद जैसा क्षेत्र खेकड़ा विधानसभा में आता था। जब परिसीमन हुआ तो नई विधानसभा आई। इसी तरह अब मेरठ मंडल के परिसीमन का समय आ गया है।
समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता का कनहा है कि अखिलेश यादव जी ने यह बात जेवर में भी उठाई थी। इसके साथ ही अब दादरी स्थित मिहिर भोज कॉलेज को राजकीय विश्वविद्यालय घोषित कर देना चाहिए।