इसकी माइनर नहरों की स्थिति तो और भी बदतर है। रामगढ़ बांध का पानी भले ही नहर में नहीं आ रहा है, फिर भी बरसात के दिनों में करीब साठ किलोमीटर लम्बी इस नहर के आस-पास के इलाके से नहर में इतना पानी आता था कि गेटोलाव बांध भर कर भी पानी दूसरे बांधों में चला जाता था। लेकिन अब लोगों ने नहर को सिकुड़ा कर पानी के रास्तों का मुंह ही मोड़ दिया है।
रामगढ़बांध से गेटोलाव आ रही मुख्य नगर के बगल में नांगल बैरसी रोड पर कई कॉलोनाइजरों ने भूखण्ड काट रखे हैं। इस नहर पर कई जगह स्कूल व भवन भी बन रहे हैं। यहां पर भूमाफियाओं एवं भवन निर्मार्ताओं ने अपने हिसाब से पुलिया बना रखी है। इन पुलियाओं की ऊं चाई कहीं पर तीन तो कहीं पर चार फीट से अधिक नहीं है। इनमें भी पुलियाओं के नीचे जगह-जगह मिट्टी भरी हुई है। ऐसे में इनमें बहने वाला पानी वहीं पर ठहर कर रह जाता है।
नाले का ले लिया रूप रामगढ़ बांध का पानी जब इस नहर में बहता था तो इसकी चौड़ाई करीब एक सौ बीस फीट हुआ करती थी, लेकिन यदि अब इस नहर को कहीं से भी नाप लिया जाए तो इसकी चौड़ाई 25- 30 फीट से अधिक नहीं है। कहीं पर नहर के बगल में लोगों ने कच्ची पाल बना कर ढांकरे रख कर अतिक्रमण कर रखा है तो कहीं पर दीवार बना रखी है। मुख्य नहर की अधिक खराब स्थित दौसा बायपास से मुर्सीद नगर की ओर चलने पर है।
बना रखे हैं पानी ठहराव के गड्ढे मुख्य नहर पर कई जगह तो लोगों ने पानी ठहराव के गड्ढ़े बना रखे हैं। ऐसे में बरसात के दिनों में रास्तों का जो पानी बह कर आता है वह इन गेटोलाव बांध तक पहुंचने की बजाए इन गड्ढों में ही भर कर रह जाता है। खास कर राष्ट्रीय राजमार्ग से गेटोलाव बांध के बीच की करीब 8 किलोमीटर की दूरी में यह हाल है।
हटाया जा रहा है अतिक्रमण रामगढ़ बांध की नहर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चल रही है। पिछले दिनों भी नांगल बैरसी में विभाग ने प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटाया है, आगे भी कार्रवाई होती रहेगी।
ओपी अवस्थी, अधिशासी अभियंता जल संसाधन विभाग दौसा