यह भी पढ़ेंः मुजफ्फरनगर में सड़क हादसे में दो कांवड़ियों की दर्दनाक मौत के बाद मचा कोहराम
बीमार युवती पिता युसुफ ने बताया कि उनकी छह बेटियां और एक बेटी है। चौथे नंबर की 13 वर्षीय बेटी निशा परवीन को शुक्रवार शाम को उल्टी और दस्त होने लगी। इसके बाद शनिवार सुबह 7:30 बजे वह पत्नी नूरजहां के साथ बेटी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। लेकिन यहां इलाज की जगह पहले उन्हें घंटों इधर-उधर भटकाया गया। इसके बाद जब इलाज की बारी आई तो डॉक्टर और कर्मचारी आनाकानी करने लगे। तीन घंटे से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद बेटी को इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया। इस दौरान एक ग्लूकोज की बोतल लगाकर छोड़ दिया गया। इस पर जब परिजनों ने वहां मौजूद डॉक्टर और नर्स से बेटी के हालत के बारे में पूछा तो मरीज को उन्हें अपनी बेटी को प्राइवेट अस्पताल में दिखाने की सलाह दी गई।
वहीं, बीमार युवती की मां नूर जहां ने बताया कि जब उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों से मरीज की तबियत के बारे में पूछा तो डॉक्टर और कर्मचारी उनसे बदतमीजी करने लगे। इन लोगों ने कहा कि ज्यादा जल्दी है तो एंबुलेंस करके मरीज को निजी अस्पताल ले जाओ। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो अस्पताल के कर्मचारियों ने पीड़िता को अस्पताल के बाहर कर दिया। बीमार युवती की माता नूर जहां ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने मरीज को किसी दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस देने से भी मना कर दिया। जब उन्होंने हंगामा किया तो कर्मचारियों ने उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।