बता दें कि हाल ही में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास (University of Kansas) के शोधार्थियों की एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्दियों में लोगों के सोने का तरीका बदल जाता है। इस दौरान खाने में शुगर की मात्रा ज्यादा होने से मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्दियों में सूर्य की रोशनी भी लोगों को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती है। इस कारण अच्छी नींद भी नहीं आती है। यहीं कारण है कि सर्दियों में 5 से 10 फीसदी लोग मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।
तीस फीसदी लोगों में मिले विंटर डिप्रेशन के लक्षण मेडिकल हाइपोथेसिस पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट में सह-लेखक स्टीफन एलार्दी ने लिखा है कि मीठा खाना व डिप्रेशन एक तरह के चक्र की तरह कार्य करता है। सर्दियों में डिप्रेशन के चलते लोग अधिक मीठा खाने लगते हैं। स्टीफन की स्टडी में तीस फीसदी लोगों में विंटर डिप्रेशन के लक्षण मिले हैं, जो सबसे अधिक मीठा खाते थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि अतिरिक्त मीठे के सेवन से बचना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इससे तात्कालिक बूस्ट मिलता है। यही वजह है कि लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
खाने में संतुलित रखें मीठे की मात्रा इस विषय पर जब ग्रेटर नोएडा के मनोचिकित्सक डाॅ. तरुण ग्रोवर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भाग-दौड़भरी आजकल की दिनचर्या में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना जरूरी हो गया है। लेकिन, लोग उस समय सचेत होते हैं, जब स्थित काफी खराब हो चुकी होती है। इसलिए जरूरी है कि सर्दियों में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज के साथ ही खान-पान का भी विशेष ध्यान रखें। खाने में मीठे की मात्रा संतुलित रखें।