संतोष के मुताबिक, सूची में अपना नाम देखकर मैं हैरान था। नौकरी के दौरान मैंने अपना काम हमेशा पूरी ईमानदारी से किया है। मैं इस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। ऐसा करने से पहले हमसे एक बार भी नहीं पूछा गया और न ही कभी ऐसा कुछ बताया गया। उन्होंने कहा, जब हमने पुलिस विभाग में नौकरी ज्वाइन की थी, तब कुछ सेवा शर्तें थी। उन सेवा शर्तों में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं है। जब सरकार ने यह फैसला खुद लिया है, तो हमारी राय का इसमें कोई मतलब ही नहीं है। उन्होंने कहा, सरकार और विभाग के इस फैसले से मेरे सम्मान को ठेस पहुंची है। मेरा रिटायरमेंट वैसे भी जल्दी ही होने वाला था, फिर इस तरह मुझे दागदार बनाकर विदाई देने की क्या जरूरत थी।
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43 साल बाद गाजियाबाद को यह तमगा क्यों… बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर के शुरुआती हफ्ते में पुलिस विभाग के सात अफसरों को कम्पलसरी रिटायरमेंट यानी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। जिन पुलिस अधिकारियों पर यह कार्रवाई हुई उनमें तीन पुलिस उपाधीक्षक यानी डीएसपी और 4 पीएसी में असिस्टेंट कमांडेंट पद पर तैनात थे। बताया जा रहा है कि ये सभी पुलिस अधिकारी 50 से अधिक उम्र के थे। जिन तीन डीएसपी पर यह कार्रवाई हुई है, उनमें मुरादाबाद के डीएसपी संतोष कुमार सिंह भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि यूपी सरकार उन अधिकारियों को फोर्स या कम्पलसरी रिटायरमेंट दे रही है, जिनका अपने विभाग में परफारमेंस अच्छा नहीं है। सरकार का ऐसे अधिकारियों से साफ कहना है कि वे खुद विभाग छोड़ दें नहीं तो उन्हें जबरन बाहर किया जाएगा, लेकिन संतोष कुमार सिंह के मामले में विभाग के फैसले पर कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। इनमें महत्वपूर्ण यह है कि जब दो महीने उनके रिटायरमेंट को बचे थे, तब अनिवार्य सेवानिवृत्ति क्यों दी गई। अगर वह काम नहीं कर पा रहे थे, उनका परफारमेंस खराब था या फिर उनके खिलाफ कोई गंभीर मामला था तो कार्रवाई में इतनी देरी क्यों की गई।
3 डीएसपी और 4 असिस्टेंट कमांडेट थे संतोष कुमार सिंह के साथ जिन अन्य छह पुलिस अधिकारियों को फोर्स या कम्पलसरी रिटायरमेंट दिया गया, उनमें आगरा में पीएसी की 15वीं बटालियन में असिस्टेंट कमांडेंट पद पर तैनात अरुण कुमार, आगरा के डीएसपी नरेंद्र सिंह राणा, फैजाबाद के डीएसपी विनोद कुमार राणा, झांसी में पीएसी की 33वीं बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट रतन कुमार यादव, सीतापुर में पीएसी की 27वीं बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट तेजवीर सिंह यादव और गोंडा में पीएसी की 30वीं बटालियन में असिस्टेंट कमांडेंट तनवीर अहमद खान शामिल हैं।
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बच्चों की पढ़ाई से खिलवाड़ कब तक? कई और अधिकारियों की बन रही सूची उल्लेखनीय है कि 2019 की शुरुआत में भी सरकार ने पुलिस विभाग के 25 अधिकारियों को कम्पलसरी रिटायरमेंट दिया था। वहीं, पुलिस के कुछ अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। विभाग में कुछ और ऐसे अधिकारियों को चिन्हित किया जा रहा है और जल्द ही कम्पलसरी रिटायरमेंट की नई सूची में उनका नाम शामिल किया जाएगा।
पूर्व डीएसपी संतोष कुमार सिंह से विशेष बातचीत प्रश्न – आपको कंपलसरी रिटायरमेंट दिया जा रहा है, यह कब पता लगा?
उत्तर – जब यह आदेश 6 नवम्बर को आया। इस फैसले से मैं बिल्कुल सहमत नहीं हूं।
प्रश्न – आपसे कभी पूछा या बताया गया कि कम्पलसरी रिटायरमेंट दिया जा रहा है?
उत्तर – जी नहीं, यह सरकार ने फैसला लिया। हमारी राय का कोई मतलब ही नहीं। सेवा शर्तों में कहीं इस चीज का उल्लेख नहीं है।
प्रश्न – क्या आपके खिलाफ कोई विभागीय जांच चल रही है?
उत्तर – नहीं, ऐसा कोई गंभीर मामला नहीं है। जो भी जांच थी वह 1998 से पहले की है। अगर दोषी था तो उसके बाद भी 20 साल तक सर्विस क्यों करने दिया गया। यह तरीका गलत है। इस फैसले से मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।
प्रश्न – सरकार के इस फैसले से आप खुश नहीं हैं तो क्या कोर्ट जाएंगे?
उत्तर – चूंकि, मेरा 31 दिसम्बर 2019 को रिटायरमेंट था, तो मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन कई लोगों की 5 से 8 साल की सर्विस बची है। लिहाजा, वे कोर्ट जाएंगे और जीतकर आएंगे, तब नौकरी पूरी करेंगे।