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अपराधियों को रिहा कराने का अनोखा मामला, पुलिस भी रह गई हैरान

locationनोएडाPublished: Nov 08, 2016 05:48:00 pm

Submitted by:

sandeep tomar

शातिर अपराधियों की फर्जी जमानतों के खेल का खुलासा हुआ है

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बुलंदशहर। पुलिस और वकीलों के गठजोड़ से शातिर अपराधियों की फर्जी जमानतों के खेल का खुलासा हुआ है। पुलिस की फर्जी मुहरों से वकील और अदालत के कर्मियों के गठजोड़ ने ऐसे कुख्यात बदमाशों को जमानतें दिलाई जिन्हें पकड़ने में पुलिस को महीनों लगे थे। पूरे खेल का पर्दाफाश होने के बाद एक वकील और अज्ञात कर्मियों के खिलाफ दो केस दर्ज किये गये हैं और बदमाशों के पैरोकार पुलिसवालों पर विभागीय नकेल कसी जा रही है।

पुलिस के कुछ अफसरों की जांच में ऐसे नेक्सस का खुलासा हुआ है जो फर्जी पुलिस रिपोर्ट के सहारे अदालतों में शातिर और कुख्यात बदमाशों को जमानतें दिला रहे थे। यानि पुलिस के काबिल लोग जिन अपराधियों को मशक्कत से जेल की सलाखों के पीछे भेजते हैं, उसी पुलिस के कुछ लोग बदमाशों के पैरोकार बने बैठे थे। पुलिस को इस खेल का पता तब चला जब जेल में बंद शातिर बदमाशों की धड़ाधड़ जमानतें होने लगी।

एसपी सिटी मानसिंह चौहान ने बताया कि पुलिस की तफ्तीश में पता चला कि संजीव शर्मा नाम के जिस वकील ने कई बावरिया गैंग और ऐसे कुख्यात अपराधियों की जमानतें करवाई हैं जो गैरप्रांत से यूपी और दिल्ली एनसीआर में जघन्य अपराध करते हैं। इस जमानतों के अभिलेखों में जो पुलिस रिपोर्ट संलग्न है उस नाम का कोई दारोगा या विवेचनाधिकारी संबधित थाने में कभी नहीं रहा। दारोगा और थानों की फर्जी मोहर का इन जमानतों में इस्तेमाल किया गया।

पुलिस अधिकारियों की मानें तो इस खेल में थानों से अदालतों में तमाम केसों की पैरोकारी करने वाले पैरोकार और थानों के मुंशी शामिल हैं। इसके अलावा अदालतों के क्लर्कों की भी इस खेल में बड़ी भूमिका मिली है। पुलिस अधिकारियों ने बार एसोसिएशन को आरोपी वकील के खिलाफ कार्रवाई के लिए चिठ्ठी लिखी है। इसके अलावा अदालतों के कर्मियों की भूमिका के लिए इस मामले को प्रोसिक्यूशन की बैठक में रखा जायेगा।

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ दो केस दर्ज करके कई ऐसे मामलों में भी जांच शुरू कराई है जिनमें केस के आरोपियों के नाम सामने आये हैं। एसएसपी ने इस खेल में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी है और अदालतों के केसों की रोजाना मॉनिटरिंग के लिए एक एसपी रैंक के अधिकारी को जिम्मेदारी दी है। तफ्तीश करने वाले पुलिस अधिकारियों को आशंका है कि इस तरह के मामले कई साल पुराने तक हो सकते हैं।
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