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चिल्ला बॉर्डर से किसान नेताओं की हुंकार, कल लखनऊ कूंच करेंगे किसान

locationनोएडाPublished: Jan 05, 2021 04:21:45 pm

Submitted by:

lokesh verma

Highlights
– भाकियू भानू गुट ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए बनाई नई रणनीति
– लखनऊ जाने से रोका गया तो बॉर्डर पर ही जमेंगे किसान
– लखनऊ के आसपास के जिलों के किसानों से कूच करने का आह्वान

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नोएडा. कड़ाके ठंड के बीच किसान चिल्ली बॉर्डर पर नए कृृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मोर्चा संभाले हुए हैं। दो दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश भी उनका हौसला नहीं तोड़ सकी है। नोएडा को दिल्ली से जोड़ने वालेे चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान डटे हुए हैं। भाकियू भानू गुट ने अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए नई रणनीति के तहत 6 जनवरी को लखनऊ कूच का ऐलान कर दिया है। किसान नेताओं का कहना है कि अगर उन्हें लखनऊ जाने से रोका गया तो वह राजधानी के बॉर्डर पर ही धरने पर बैठ जाएंगे।
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भारतीय किसान यूनियन (भानु) गुट के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने पत्रकार से चर्चा के दौरान 6 जनवरी को प्रदेश के सभी जिलों में ट्रैक्टर-ट्रॉली रैली निकालने का ऐलान किया है। उन्होंंने कहा है कि किसान इस दौरान रैली निकालते हुए जिला मुख्यालय का घेराव करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने राजधानी लखनऊ के आसपास के जिलों के किसानों से ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ लखनऊ कूच करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि अगर किसानों को राजधानी में प्रवेश से राेका जाए तो किसान वहीं बॉर्डर पर बैठ जाएं। बता दें कि 8 जनवरी को सभी जिलों के किसान अपने-अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली कूच करेंगे।
500 ट्रैक्टरों में सवार होकर धरने पर पहुंचे किसान

उधर, बागपत के बड़ौत में चल रहे आंदोलन को चौगामा खाप ने भी अपना समर्थन दे दिया है। चौधरी कृषिपाल सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों किसान 500 से अधिक ट्रैक्टरों में सवार होकर बड़ौत पहुंचे। इस मौके पर एक पंचायत का आयोजन करते हुए आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया। किसानों ने ऐलान कि वह 26 जनवरी को लाल किले पर गणतंत्र दिवस की परेड करेंगे। इस दौरान देशखाप चौधरी सुरेंद्र सिंह, थांबेदार ब्रजपाल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री इस समय बेहद डरे हुए हैं, क्योंकि उन्होंने देश के अन्नदाताओं का दिल दुखाया है। इस कारण अन्नदाता डेढ़ माह से सड़कों पर अपना हम मांग रहा है।
समिति गठित करने का सुझाव

गौरतलब हो कि किसान संगठनों की सरकार के साथ हुई सातवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही है। अब अगले दौर की बैठक 8 जनवरी को होनी है। किसान नेता कृषि कानून निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। जबकि सरकार का कहना है कि वह कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, हालांकि वह संशोधन को तैयार है। सूत्रों के अनुसार, सरकार कानूनों को निरस्त नहीं करने के रूख पर अडिग है और उसने इस विषय पर विचार के लिए समिति गठित करने का भी सुझाव दिया है।
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