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सरकारी कर्मचारियों के खुशखबरी, इस बार मिलेगा दोगुना बोनस 1980 से चला है केस इस पर सन् 1971 में तिलक नगर धानमंडी योजना के तहत इस क्षेत्र में व्यवसायिक प्लाट आवंटित करने की योजना नगर पालिका द्वारा बनाई गई थी। हालांकि 1980 में यह क्षेत्र विवादों में घिर गया और जोधपुर स्थित हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी इसका मामला चला। इस कारण अब तक इस जगह का ज्यादातर हिस्सा शहर के बीचो-बीच होने के बावजूद खाली ही पड़ा है। कुछ लोगों ने केस जीत कर इस क्षेत्र में प्लाट बनाने की अनुमति भी प्राप्त कर ली है, लेकिन निर्माण कराने से पहले ही उनका सामना यहां के गंदगी और कचरे से हो रहा है।
– मुझे निर्माण कराने की स्वीकृति भी मिल गई है मैंने केस जीता और नगर परिषद से मुझे निर्माण कराने की स्वीकृति भी मिल गई है। अघोषित रूप से डंपिंग यार्ड बने होने से कचरा व गंदगी का आलम है। रास्ता भी बंद है और प्लॉट तक में कचरे का ढेर लगा हुआ है। इस कारण काम नहीं चलवा पा रहा।
रोशनलाल जैन, प्लाट धारक – प्लाट पर निर्माण कार्य करा लिया है मैंने केस जीतने के बाद अपने प्लाट पर निर्माण कार्य करा लिया है, लेकिन पास में ही कचरा डंप होने से गंदगी के कारण पूरे क्षेत्र में अव्यवस्थाएं फैली रहती है। कचरे के ढेर में पशु घूमते रहते हैं, जिससे यहां रहना भी मुश्किल हो जाता है।
केवलचंद तलेसरा, प्लाट धारक