इस बैठक के बाद नवनीत सहगल ने प्रेस कांफ्रेस की और बताया कि जेवर एयरपोर्ट जो करीब 5,000 एकड़ में फैला हुआ है उसका काम काफी तेजी से चल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यह एयरपोर्ट ना सिर्फ देश का बल्कि एशिया का भी सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा, जिसमें कुल 6 रनवें होंगे। यह एयरपोर्ट गौतम बुद्ध नगर को एयरोट्रोपोलिस का रूप देगा। इस एयरपोर्ट के बनने से जिले व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी जिले के लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर ज्यादा बढ़ जाएंगे। एनआईएएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुण वीर सिंह ने बताया कि इस एयरपोर्ट का नाम साल 2021 में शुरू हो जाएगा और जिसे पूरा करने का लक्ष्य साल 2024 तक का है, उन्होंने बताया कि इसका काम पूरा होने पर सालना तकरीबन 1.2 से 1.6 करोड़ यात्रियों को उड्डयन सुविधाएं मिलेंगी।
क्या है एयरोट्रोपोलिस बता दें कि एरोट्रोपोलिस एक महानगरीय उपसमूह होता है। जिसका बुनियादी ढांचा, भूमि उपयोग और अर्थव्यवस्था एक हवाई अड्डे पर केंद्रित होती है। यह शब्द एयरो और मेट्रोपोलिस से होकर बना है जो उड्डयन और महानगर शब्दों को एक साथ जोड़ता है। एयरोट्रोपोलिस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल न्यूयॉर्क के वाणिज्यिक कलाकार निकोलस डेसेंटिस ने किया था। उस शहर की ऊंची आसमान को छूने वाली इमारतों के साथ ही हवाई अड्डे का चित्र नवंबर 1939 के लोकप्रिय विज्ञान के अंक में प्रस्तुत किया गया था। उनके इस शोध के बाद इस शब्द को साल 2000 में एयर कॉमर्स शोधकर्ता जॉन डी कसारदा ने फिर से परिभाषित किया था।
जेवर एयरपोर्ट बनाने की लागत आपको बता दें कि इस एयरपोर्ट को बनाने की लागत तकरीबन 4,588 करोड़ रुपये है जो कि 1,334 हेक्टेयर में फैला होगा। इस एयरपोर्ट का निर्माण करने के लिए नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) और ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी के बीच समझौता किया गया है। वहीं इसको बनाने के पूरे खर्च की बात करें तो इसको बनाने में 29,560 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस एयरपोर्ट के करीब 100 किलोमीटर के दायरे में कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। बता दें कि जेवर एरोट्रोपोलिस में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना सिटी, अलीगढ़, मथुरा और आगरा जैसे शहर भी शामिल होंगे। वहीं अभी तक दुनिया में न्यूयॉर्क, दुबई, ताओयुआन (ताइवान), एम्स्टर्डम और डलास ऐरोट्रोपोलिस के बड़े उदाहरण हैं।