उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में लगभग 400 गोशाला संचालित हैं और वर्तमान सरकार के द्वारा गोवंश की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेशभर के सभी जिलों में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में इस कार्य के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि गौतमबुद्ध नगर में तीनों प्राधिकरणों के माध्यम से पशुओं की सुरक्षा के उद्देश्य से पशु चिकित्सालय निर्माण का सुझाव सरकार को भेजें, ताकि पशुओं की सुरक्षा की दिशा में गंभीर कदम उठाए जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि प्राधिकरण के द्वारा सरकार द्वारा संचालित पशु चिकित्सालय को आधुनिक बनाने की दिशा में भी कार्य किया जा सकता है।
इस दौरान उन्होंने समीक्षा करते हुए पाया कि किसी भी प्राधिकरण में पशु एंबुलेंस नहीं है। उन्होंने पशु एंबुलेंस क्रय करने के लिए भी अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। अध्यक्ष गोसेवा उत्तर प्रदेश आयोग राजीव गुप्ता ने यह भी सुझाव दिया कि जनपद में जो गोशालाएं संचालित हैं उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में इसके लिए गठित समिति के माध्यम से नियमित बैठक आयोजित करते हुए इस कार्य को आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए गोशालाओं से उपलब्ध गोबर एवं गोमूत्र से प्रॉडक्ट तैयार करते हुए उन्हें और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है।
अध्यक्ष ने अधिकारियों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा के संबंध में अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि जनपदों में जो गोशालाएं संचालित हैं उन्हें क्षेत्रीय विकास का केंद्र बनाया जाए। इस दिशा में संबंधित अधिकारियों के माध्यम से एक कार्ययोजना बनाकर कार्य करना होगा।
बैठक में जिलाधिकारी बीएन सिंह के द्वारा अध्यक्ष को आश्वस्त करते हुए कहा गया कि गोवंश की रक्षा एवं संचालित गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने के संबंध में जो मार्ग निर्देश दिए गए हैं अधिकारियों के माध्यम से उनका पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह, डीएफओ गिरीश श्रीवास्तव, तीनों प्राधिकरण के अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एसके द्विवेदी, जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेंद्र सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह, उपनिदेशक कृषि एके बिश्नोई तथा अन्य अधिकारी मौजूद रहे।