यह है वजह दरअसल, आम्रपाली (
Amrapali ) मामले की वजह से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (
greater noida authority ) को बड़ा झटका लगा है। अथॉरिटी पर पहले से ही करीब सात हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। आम्रपाली पर प्राधिकरण के करीब 3600 करोड़ रुपये बकाया हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने बिना बकाया वसूले कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश अथॉरिटी को दिया था। इसके चलते ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ( Greater Noida Authority ) को पैसा डूबता दिख रहा है। इससे ग्रेनो अथॉरिटी पर और भी मुसीबत आ गई। इस वजह से बैंकों का कर्ज उतारना मुश्किल हो जाएगा।
प्रोजेक्टों पर दिख रहा है असर इसका असर अथॉरिटी के प्रोजेक्टों पर पड़ता दिख रहा है। पैसे की कमी के कारण नाइट सफारी, कन्वेंशन सेंटर और हेलिपोर्ट आदि का निर्माण कार्य पहले से ही रुका हुआ है। अब अथॉरिटी ने कई और परियोजनाओं पर रोक लगा दी है। आम्रपाली मामले के बाद 20 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य और परियोजनाएं रुक गई हैं। इनमें ग्रेटर नोएडा वेस्ट और बोड़ाकी तक प्रस्तावित मेट्रो और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी शामिल हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ( Greater Noida Authority ) के सीईओ नरेंद्र भूषण का कहना है कि अथॉरिटी के पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं। इस वजह से बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है। धनराशि की व्यवस्था होने के बाद इनका निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
शहर के विकास के लिए थी राशि जानकारी के अनुसार, आम्रपाली से मिलने वाली बकाया राशि यहां के नागरिकों की सुविधाओं आदि को शहर के विकास के लिए है। शहर में करीब 10 लाख लोग रहते हैं। ऐसे में 3600 करोड़ के हिसाब से हर नागरिक के हिस्से में 36 हजार रुपये आते हैं। अम्रपाली के पैसा नहीं देने से ये बड़ी राशि फंस गई है। अगर यह मिलती तो इसे विकास कार्यों पर खर्च किया जाता।
किसानों को दिया था मुआवजा आपको बता दें कि अथॉरिटी ने किसानों को 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजा दिया था। इस वजह से उस पर बैंकों का छह हजार करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। यह धनराशि बिल्डरों से वसूल कर बैंकों को देनी थी , लेकिन बिल्डरों ने ऐसा नहीं किया। जिसके चलते अथॉरिटी को 60 करोड़ रुपये प्रति माह बैंकों को ब्याज देना पड़ रहा है। बिल्डरों के बकाया भुगतान के अलावा अथॉरिटी के पास पैसे आने का कोई और जरिया नहीं है।
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