बताया जा रहा है कि इस नए शहर को बसाने के लिए किसानों की जमीन खरीदने के बजाए उन्हें इसमें हिस्सेदार बनाया जाएगा। इसके मास्टर प्लान को लेकर कवायद तेज हो गई हैं। इसके लिए विशेषज्ञ कंपनी का चयन किया गया है। जनकारी के अनुसार मास्टर प्लान जीआईएस और डिजिटल तकनीक पर आधारित होगा। इसको 8 चरणों में बनाया जाएगा। इस नए शहर को पूरी तरह बसाने में करीब 20 वर्षों का समय लगेगा। फेज दो के पास कई संसाधन ग्रेटर नोएडा के मुकाबले बेहतर होंगे।
इसे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे से बड़ा फायदा मिलेगा। मौजूदा ग्रेटर नोएडा की बात करें तो फिलहाल उसकी सीमा दादरी के पास दिल्ली-हावड़ा रेल ट्रेक के पास आकर खत्म हो गई है। लेकिन जो ग्रेटर नोएडा फेज-2 बसाया जा रहा है वह रेल ट्रेक को पार करके बनाया जाएगा। यह गंगा एक्सप्रेस वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे को छूता हुआ बनेगा। इससे यमुना एक्सप्रेस वे भी कुछ ही दूरी पर होगा।
इन गांवों को मिलाकर बनेगा न्यू ग्रेटर नोएडा अधिकारियों के मुताबिक ग्रेटर नोएडा फेज-2 बसाने के लिए दादरी और हापुड़ के करीब 40 गांवों की जमीन को मिलाया जाएगा। इनमें सबसे ज्यादा दादरी के गांव शामिल हैं। वहीं हापुड़ के पिलखुआ के पास ग्रेटर नोएडा फेज-2 का बॉर्डर होगा। दादरी के सदोपुर, अच्छेजा, बिसाहड़ा, प्यावली, खटाना, शाहपुर, नई बस्ती, फूलपुर, आनंदपुर, खंदेड़ा, मिलक खंदेड़ा, जारचा, रानौली, छौलस, गेसूपुर, भराना, जारचा, बादलपुर, ऊंचा अमीपुर आदि गावों को इसमें शामिल किया गया है। पहले इसका क्षेत्रफल करीब 50 हजार हेक्टेयर होता, लेकिन दादरी तहसील के 20 गांवों को न्यू नोएडा में शामिल किया गया है। जिसके चलते करीब 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल इसका कम हो गया है।
इसका भी मिलेगा बड़ा लाभ गौरतलब है कि यमुना प्राधिकरण द्वारा जेवर में बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और यमुना एक्सप्रेस वे से सटाकर कई बड़ी इंडस्ट्रियल और कमर्शियल योजनाओं के लिए प्लॉट आवंटित किए हैं। इसमें देश की सबसे शानदार फिल्म सिटी भी विकसित की जानी है। इसके अलावा यहां पर हैरिटेज सिटी, टप्पल लॉजिस्टिक हब, टॉय सिटी, गॉरमेंट पार्क, हैंडीक्राफ्ट सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, पतंजलि फूड एण्ड आयुर्वेद पार्क समेत दर्जनों ऐसी योजनाएं हैं, जिनका लाभ ग्रेटर नोएडा फेज-2 के लोगों को भी मिलेगा।