नोएडा

अगर सपा-बसपा का हुआ गठबंधन तो इस प्रत्याशी के पैरों तले खिसक जाएगी जमीन

ऐसा होने पर सभी पार्टियों के समीकरण गड़बड़ा जाएंगे, जिसमें भाजपा को अधिक नुकसान हो सकता है।

नोएडाApr 20, 2018 / 04:43 pm

Rahul Chauhan

राहुल चौहान@पत्रिका
नोएडा। 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूं तो पूरे प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन इसके अलावा सपा-बसपा और कांग्रेस के महागठबंधन को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि अगर इन दलों के बीच महागठबंधन हुआ तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किन-किन सीटों पर कौन-कौन सी पार्टी चुनाव लड़ेगी। मतलब साफ है कि महागठबंधन की स्थिति में तीनों दलों के बीच सीटों का बटवारा होगा।
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ऐसे में इन दलों से इस समय टिकट की दावेदारी जता रहे लोग भी असमंजस की स्थिति में हैं। फिलहाल प्रत्याशी तय करने के मामले इस समय बसपा सबसे आगे है। बसपा सुप्रीमो मायावती पहले ही कई लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी हैं। इसमें उनके गृहजनपद गौतमबुद्धनगर की लोकसभा सीट भी शामिल है। दरअसल गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट से बसपा सुप्रीमो ने 2017 के अंत में ही वीरेंद्र ढाड़ा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। महागठबंधन की स्थिति में इस सीट पर पेच फंसने की आशंका जताई जा रही है।
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सूत्रों के मुताबिक गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी से भी पूर्व मंत्री और लगातार तीन बार विधायक रहे मदन चौहान को टिकट मिलने की चर्चा जोरों पर है। अगर यह सीट सपा के खाते में गई तो बसपा द्वारा घोषित प्रत्याशी वीरेंद्र ढाड़ा का टिकट कटना तय है।
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ऐसे में वीरेंद्र ढाड़ा द्वारा पिछले छह महीने से की जा रही उनकी मेहनत पर पानी फिर सकता है। इतना ही नहीं सपा-बसपा गठबंधन होने पर यह सीट सपा के खाते में जाना वीरेंद्र ढाड़ा के लिए पैरों तले जमीन खिसकने जैसा हो सकता है, क्योंकि उनके द्वारा क्षेत्र में जनसंपर्क और पूरे लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशी घोषित होने के बाद बैनर व होर्डिंग्स पर काफी पैसा खर्च किया जा चुका है।
कौन हैं मदन चौहान
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा क्षेत्र से 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार विधायक रहे दिग्गज सपा नेता मदन चौहान को गौतमबुद्ध नगर और अमरोहा लोकसभा सीट से टिकट दिया जा सकता है। इस तरह की अटकलें पार्टी में चल रही हैं।
ठाकुर बाहुल्य सीट होने के चलते मिल सकता है टिकट
इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा की नजर ठाकुर वोट बैंक पर है और गौतमबुद्ध नगर ठाकुर बाहुल्य लोकसभा सीट है। बता दें कि विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद से अनुमान लगाया जा रहा है कि मदन चौहान को ऐसी सीट से टिकट दिया जाएगा जो ठाकुर बाहुल्य व बसपा-कांग्रेस के वोट बैंक को भी अपनी ओर ले आए।
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मदन चौहान के छोटे भाई व सपा नेता अशोक चौहान ने बताया कि पार्टी की तरफ से मदन चौहान को गौतमबुद्ध नगर व अमरोहा लोकसभा सीट से टिकट देने की बात कही जा रही है। इसके लिए इनका नाम भेजा गया है। हालांकि अभी टिकट मिलने का कोई दावा करना जल्दबाजी होगी।
ठाकुर अमर सिंह के रहे खास
गौरतलब है कि भाजपा का मजबूत गढ़ कहे जाने वाली गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट पर मदन चौहान ने 2002 में भाजपा के निवर्तमान विधायक राम नरेश रावत को पराजित कर सीट भाजपा से छीनी थी। वहीं 2007 में दूसरी बार विधायक बनने के बाद वह ठाकुर अमर सिंह के खास हो गए।
फिर 2009 में फिरोजाबाद लोकसभा उपचुनाव में डिम्पल यादव के हारने के बाद अमर सिंह की अति आत्मविश्वास वाली टिप्पणी के बाद उनके पार्टी में संबंध खराब हो गए जिसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। अमर सिंह के साथ मदन चौहान को सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
2012 में मारी थी जीत की हैट्रिक
इसके बाद 2012 विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने गढ़ विधानसभा क्षेत्र पर जातीय गणित बैठाते हुए गुर्जर समाज के रविन्द्र चौधरी का टिकट घोषित कर दिया। हालांकि सपा से निलंबित चल रहे मदन चौहान ने अमर सिंह की पार्टी से चुनाव न लड़कर चुनाव से पहले ही सपा में जोरदार वापसी की।
इस वापसी का इनाम देते हुए तत्कालीन सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने पूर्व में घोषित प्रत्याशी रविंद्र चौधरी का टिकट काटकर पुन: मदन चौहान को प्रत्याशी घोषित किया। इसके बाद उन्होंने चुनाव में बसपा के हाजी शब्बन को करारी शिकस्त देते हुए तीसरी बार शानदार जीत दर्ज की थी। इस शादनदार जीत के बाद अखिलेश ने उन्हें सरकार में राज्य मंत्री बनाया था।

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