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जागो जनमत: नोटबंदी का स्वागत करने वाले ही करने लगे विरोध

locationनोएडाPublished: Nov 25, 2016 03:41:00 pm

Submitted by:

sandeep tomar

सभी लोगों ने शुरु में नोटबंदी का स्वागत किया लेकिन अब आ रही समस्याओं से लोगों की राय बदलने लगी है

Jago janmat campaign of patrika in Faizullaganj

Jago janmat campaign of patrika in Faizullaganj

नोएडा। नोटबंदी के दिन बढ़ने के साथ ही परेशानियां कम न होने से लोगों के विचार बदलने लगे हैं। जो लोग नोटबंदी का स्वागत कर रहे थे। वह उद्योगपति आैर व्यापारी नोटबंदी के साइडइफेक्ट आैर बैंक में रुपये न आने से परेशान हो गये हैं। नोटबंदी पर पत्रिका ने जनता से जाना कि उनको क्या परेशानी हो रही है।

उद्योगपति मंदी आने का जता रहे हैं डर

नोटबंदी से तंग एनईए के पदाधिकारियों ने बैठक कर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कैश निकालने की लिमिट बढ़ाने आैर बैंक अधिकारियों को निर्देश देने की अपील की है। गौतमबुद्घ नगर के नोएडा विधानसभा स्थित उद्योगपति आैर एनर्इए के अध्यक्ष व सेक्रेटरी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में दावा किया कि अगर नोटबंदी के बाद एेसी ही व्यवस्था रही तो 50 दिनों तक मंदी जैसे आसार आ जाएेंगे। उन्होंने कहां की स्थिती गंभीर होती जा रही है। एनईए के सचिव कमल कुमार का कहना है कि बैंक से रुपया न मिलने के चलते उद्योग ठप होने के साथ ही वर्करों के सैलरी आैर बेरोजगारी की स्थिति बन रही है। इन सभी से उभारने के लिए प्रधानमंत्री को जल्द से जल्द कोर्इ न कोर्इ व्यवस्था करनी चाहिए।



अब हो रही नोटबंदी से परेशानी

कमल कुमार के अनुसार नोटबंदी का जो फैसला आठ नवंबर को आया था। उसमें दस दिन तक सभी फेवर में थे, लेकिन धीरे—धीरे समय बीतने पर नोटबंदी से अब नोट रिपलेस्मेंट न मिलने से सभी लोग पेरशान हैं। पांच घंटे बाद भी रुपये नहीं मिल रहे हैं। सरकार ने फैसला सुनाया था कि करेंट अकाउंट वालों को ५० हजार रुपये हर हफ्ते दिया जाना था, लेकिन बैंक में जाने पर रुपया न होने का कारण बताकर वापस भेज दिया जाता है। एेसे में पैसा न होने पर इंडस्ट्री चलाना बहुत मुश्किल है। अब तक लेबर को भेजकर हम रुपया मगंवा रहे थे। लेकिन अब रुपया नहीं आ पा रहा है। इसी के चलते अभी से चिंता हो रही है की अगले महीने हम कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए रुपया कहां से लाएेंगे। वहीं आज के बाद से पेट्रोलपंप समेत मार्केट में पुराना रुपया चलना बंद हो जाएगा और नर्इ करेंसी नहीं मिल रही है। एेसे में ट्रांसपोर्ट कैसे चल पाएगा। आज भी ४० प्रतिशत ट्रांसपोर्ट रुका हुआ है। डीजल आैर पेट्रोल न मिलने से समस्या आैर भी गंभीर हो जाएगी।



पता नहीं सरकार क्या करना चाहती है

एनईए के जनरल सेकेट्री वीके सेठ का कहना है कि अभी तक तो काम चल रहा था, लेकिन आने वाले समय में सरकार क्या चाहती है, उनकी मंशा क्या है व्यू क्या है। यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। किस प्रकार इंडस्ट्री को चलाना चाहती है। आज हम किसी शहर में इंडस्ट्री न चलें तो पलायन कर जाती है, लेकिन आज हम मजबूर है क्या करें। हम पीएम मोदी से रिक्वेस्ट करते हैं कि वह सारे उद्योग अपने कब्जे में ले लें आैर हमें केयर टेकर बनाकर पेमेंट करें दे।



20 रुपए के लिए भी लोग देते हैं 2000 का नोट

बिजनेसमैन शिकुल झा का कहना है कि नोटबंदी ने बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। हमारे पास जो छोटे नोट थे। वो दो से तीन दिन में खत्म हो गये। बैंक से दो हजार रुपये का नोट मिल रहा है। जिसके खुले भी नहीं मिल पा रहे हैं। जिस के पास दो हजार रुपये हो वह कितना इंतजार करेगा। मेरे इस्टीटयूट में बच्चों ने मेरी फीस तक नहीं दी है। मैं उन्हें प्रेसराइज भी नहीं कर सकता। वहीं कुछ लोग २० रुपये का काम कराकर मजबूरन २००० का नोट दे रहे हैं। एेसे में उसे खुले कहां से दूं। लोग नौकरी छोड़कर लाइन में खड़े हैं। मोदी जी को पहले प्रयाप्त मात्रा में नर्इ करेंसी छपवानी चाहिये थी। इसके बाद वह गुप्त रूप से बैंक को पहुंचा दिए जाने थे। इससे करेंसी की न तो कमी होती आैर बैंक भी रुपया दे सकते। आज बैंक में लंबी लाइन के बाद नंबर आने पर बैंक मैनेजर रुपया खत्म होने की बात कर देता है। एेसे में हम क्या कर सकते हैं। आज भी बैंकों के बाहर कोर्इ बड़ी गाड़ी वाला नहीं बल्की चूरन वाला आैर बग्गी वाले हैं। जो अपनी दिहाड़ी आैर कमार्इ छोड़कर लाइनों में लगे हुए हैं।
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