जेपी इंफ्राटेक पर बैंकों का करीब 8335 करोड़ रुपए बकाया है। यह कर्जा जेपी ने परियोजना को पूरा करने व नई परियोजना की शुरुआत करने के लिए लिया था। कुछ किस्तों को जमा करने के बाद मंदी के दिनों में बिल्डरों ने बैंकों की किस्ते देना बंद कर दिया। कर्जा बढ़ने व बैंकों द्वारा दबाव बढ़ने के बाद जेपी ने देश की तीन बड़ी बैंकों को पैसों के बदले भूखंड आवंटित कर दिए। ताकि यदि वह कर्जा नहीं चुका पाता तो बैंक इस जमीन को बेचकर अपना पैसा निकाल सकती है। लेकिन यहा मामला काफी गंभीर हो चुका है।
जेपी समूह ने अकेले आईसीआईसीआई बैंक को कर्ज के बदले ग्रुप हाउसिंग व आवासीय भूखंड के तहत 28 अप्रैल 2016 को सेक्टर-22 यमुना विहार में 27141 वर्गमीटर व सेक्टर-19 स्पोर्ट सिटी ईस्ट में 26 अप्रैल 2016 को ग्रुप हाउसिंग के तहत 46.11 एकड़ जमीन अलॉट की थी। वहीं आईडीबीआई बैंक को मिक्स लैंड के रूप में पहली बार में 20.3364 हेक्टेयर व दूसरी बार में 77.49 एकड़ सेक्टर-19 और 22 में स्पोर्टस सिटी ईस्ट में आवंटित की गई।
इसके अलावा एक्सिस बैंक को सेक्टर-19 स्पोर्ट सिटी ईस्ट में 25 अप्रैल 2016 को कुल 355.06 एकड़ जमीन आवंटित की गई। बावजूद इसके जेपी इंफ्राटेक पर आठ हजार करोड़ रुपए बकाया है। इसमे सबसे ज्यादा कर्जा आईडीबीआई बैंक का था। लिहाजा बैंक ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। जिस पर ट्रिब्यूनल ने यह फैसला दिया था।