Shardiya navratri 2018: नवरात्रि के दूसरे दिन हम आप को बता रहे हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, और उनको लगने वाले भोग के बारे में जिससे प्रसन्न होकर माता देती है सौभाग्य का आशीर्वाद
नोएडा। शारदीय नवरात्र में देश का कोना-कोना भक्तिमय हो चला है। नौ दिनों तक चलने वाला शक्ति और आराधना के इस पर्व में दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। तप व संयम का आचरण करने वाली भगवती को ही ब्रह्मचारिणी कहा गया। कैसे करें देवी की पूजा और मां ब्रह्मचारिणी कौन सा मनोवांछित फल देने वाली है आइए आपको बताते हैं।
Navratri नौ देवी मां की उपासना का पर्व है। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा (Nav Durga) कहते हैं। नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। ‘ब्रह्मा’ शब्द का अर्थ है ‘तपस्या’ अर्थात तप, यानी तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें मां ब्रह्मचारिणी कहा गया है। इनके दांहिने हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमंडल होता है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से भक्तों का जीवन सफल हो जाता है। जो भी भक्त इनकी आराधना करता है उसके तप करने की शक्ति बढ़ जाती है। देवी के इस स्वरूप की पूजा और साधना से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है इतना ही नहीं इनकी आराधना से सभी मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं। साथ ही ब्रह्मचारिणी हमें ये संदेश देती हैं कि जीवन में बिना कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। बिना मेहनत के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें इसके बाद मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।