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Navratri के सातवें दिन काला जादू और भूत, प्रेत को भगाने के लिए की जाती है माँ कालरात्रि की विशेष पूजा

locationनोएडाPublished: Oct 16, 2018 02:12:43 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Navratri के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, मां काली सभी बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं, सातवें दिन काला जादू और बुरी शक्तियों का नाश के लिए की जाती हैं विशेष पूजा

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काला जादू और भूत, प्रेत को भगाने के लिए नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है विशेष पूजा

नोएडा। नवरात्र में सप्तमी का विशेष महत्व हैं। Navratri सप्तमी तिथि में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन तांत्रिक (Tantrik), अघोरी अपनी तंत्र-मंत्र (Tantra Mantra) की साधना करते हैं और सिद्धी प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है। सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं। Maa Kalratri पराशक्तियों की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं।
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। नवरात्र की सप्तमी को साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी के इस रूप में सभी राक्षस,भूत, प्रेत, पिसाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। देवी कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार जिनके ऊपर भूत-प्रेत का साया रहता है या कुछ अनजानी शक्तियां किसी को डराने का प्रयास करती है या हर पल उन्हें डराती हैं, काले अंधेरे में बुरे-बुरे खयाल आते हैं, किसी शख्स पर काला जादू (Kala Jadu) है, उनके सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी बुरी शक्तियां नाश हो जाती हैं। बुरी शक्तियों से लड़ने और सिद्धी के लिए ज्यादातर मां की आधी रात को पूजा की जाती है। इसके लिए मंत्र इस प्रकार हैं।
मां कालरात्रि मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥


मां कालरात्रि का ध्यान करने के लिए मंत्र

करालवदनां घोरांमुक्तकेशींचतुर्भुताम्।

कालरात्रिंकरालिंकादिव्यांविद्युत्मालाविभूषिताम्॥

दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्वकराम्बुजाम्।
अभयंवरदांचैवदक्षिणोध्र्वाघ:पाणिकाम्॥

महामेघप्रभांश्यामांतथा चैपगर्दभारूढां।

घोरदंष्टाकारालास्यांपीनोन्नतपयोधराम्॥

सुख प्रसन्न वदनास्मेरानसरोरूहाम्।

एवं संचियन्तयेत्कालरात्रिंसर्वकामसमृद्धिधदाम्॥

मां कालरात्रि का स्त्रोत करने के लिए मंत्र

हीं कालरात्रि श्रींकराली चक्लींकल्याणी कलावती।

कालमाताकलिदर्पध्नीकमदींशकृपन्विता॥

कामबीजजपान्दाकमबीजस्वरूपिणी।

कुमतिघन्ीकुलीनार्तिनशिनीकुल कामिनी॥
क्लींहीं श्रींमंत्रवर्णेनकालकण्टकघातिनी।

कृपामयीकृपाधाराकृपापाराकृपागमा॥

मां कालरात्रि का कवच करने के लिए मंत्र

ॐ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि।

ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥

रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम

कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी।

वíजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि।

तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥

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