एनईए अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि लॉकडाउन के कारण उद्यमियों को अपनी इकाइयों में लगे विद्युत कैपेसिटर को बंद करने तक का मौका नहीं मिल पाया। जिससे बिजली का बिल कई गुना बढ़ गया। उसका असर यहां की लगभग 11000 औद्योगिक इकाइयों पर पड़ रहा है। इस बाबत विद्युत विभाग की तरफ से भी कोई गाइड लाइन जारी नहीं की गई। इसलिए लॉकडाउन की अवधि के बिजली बिल केडब्ल्यूएच रीडिंग के आधार पर ही बनाये जाएं, जिससे उद्यमियों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
एनपीसीएल ग्रेटर नोएडा नहीं दे रहा छूट उन्होंने कहा कि पूर्व में जमा सिक्योरिटी राशि दो माह के विद्युत बिल के बराबर होती थी। विद्युत नियामक आयोग ने उसे अब 45 दिन की कर दी है। इसलिए जिन उद्यमियों की ज्यादा सिक्योरिटी राशि में जमा है, उसे उनके आगामी विद्युत बिलों में समायोजित कर दिया जाए। उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन ने उद्यमियों को विद्युत बिलों में एक माह के फिक्स चार्ज में छूट देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद एनपीसीएल ग्रेटर नोएडा में फिक्स चार्ज में छूट नहीं दे रही है। उन्होंने डीएम से अनुरोध किया कि वे एनपीसीएल को उद्यमियों को विद्युत बिलों में एक माह फिक्स चार्ज में छूट देने का निर्देश दें।
पुलिसकर्मी बेवजह करते हैं चालान एनईए अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शनिवार और रविवार को भी औद्योगिक इकाइयों को खोलने की अनुमति दी है, लेकिन पुलिस प्रशासन उद्यमियों और इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों को जगह-जगह बैरिकेड लगाकर रोकते हैं और उनका चालान काटते हैं। इससे कारण श्रमिक उद्योगों तक नहीं पहुंच पाते हैं। उन्होंने इस स्थिति पर काबू करने का अनुरोध किया।
टूटी सड़कें और गंदे सीवर का मुद्दा उठाया एनईए अध्यक्ष ने यूपीएसआईडीसी के बी. और सी. ब्लाक में टूटी सड़कें और गंदगी से अटी पड़ी नालियों और सीवर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस मामले को पहले भी उठाया गया था, लेकिन उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने टूटी सड़कों की मरम्मत के साथ ही नालियों और सीवर को साफ कराने की मांग की। बैठक में उपायुक्त उद्योग अनिल कुमार, एनईए के कोषाध्यक्ष शरद चन्द्र जैन, उपाध्यक्ष मोहन सिंह, सह कोषाध्यक्ष नीरू शर्मा और झुमा विश्वास नाग ने हिस्सा लिया।