बिहार विधानसभा चुनाव में राजद , जेडीयू तथा कांग्रेस के महागठबंधन को मिली शानदार जीत के बाद एक ओर जहां केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा अपनी हार की समीक्षा कर रही है वहीं अन्य क्षेत्रीय दल आगामी दो वर्ष में होने वाले दस विधानसभा चुनावों को लेकर नई रणनीति पर विचार कर रहे हैं।
बिहार में चुनाव से पहले बने महागठबंधन ने शानदार जीत दर्ज करते हुए लगभग तीन चौथाई बहुमत हासिल किया। इस जीत का प्रभाव अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दलों पर भी देखने को मिल सकता है।
अन्य क्षेत्रीय दल आगामी चुनाव को लेकर अपनी जीत का परचम लहराने के लिए नए-नए सहयोगियों की तलाश तथा गठबंधन को लेकर रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
इसके अलावा भाजपा बिहार चुनाव में मिली करारी हार के कारणों की गहन समीक्षा करके आगे के चुनावों में अपनी गलतियों को दोहराने से बचने का प्रयास करेगी। केरल, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, पश्चिम बंगाल और असम में अगले वर्ष जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में 2017 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार का जनादेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के लिए एक सबक है क्योंकि इस सरकार के पास अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए केवल साढ़े तीन वर्ष का समय शेष है।
बिहार चुनाव के परिणामों ने दिल्ली विधानसभा चुनावों की याद ताजा कर दी है जिसमें नवगठित आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं।