जानकारी के लिए बता दें कि दावा किया जा रहा है कि ये एनसीआर की सबसे बड़ा ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट है। इसमें स्कूल, अस्पताल समेत सभी मूलभूत सुविधाएं हैं। इस प्रोजेक्ट में करीब साढ़े सात हजार फ्लैट हैं जिसमें से करीब 4 हजार फ्लैटों का पजेशन लोगों को दिया जा चुका है। जिनमें करीब 20 हजार लोग रह रहे हैं।
प्राधिकरण ने कई बार भेजे नोटिस नोएडा प्राधिकरण के नोडल अधिकारी सलिल यादव ने बताया कि सुपरटेक को प्राधिकरण द्वारा जीएच-01ए, सेक्टर-74 भूखंड आवंटित किया गया था। इस भूखंड का क्षेत्रफल 1 लाख 77 हजार 960 वर्ग मीटर है। इसके बकाए के लिए समय-समय पर प्राधिकरण की तरफ से नोटिस जारी किए गए थे। लेकिन, बिल्डर की ओर से न तो पैसा जमा किया गया, न ही नोटिस का कोई जवाब दिया गया। जिसके बाद प्राधिकरण की सीईओ के निर्देश पर यूपी इंडस्ट्रीयल एरिया डेवलेपमेंट एक्ट 1976 की धारा-40 की उपधारा ए अथवा बी के तहत सुपरटेक बिल्डर को 2,93,15,20,150 रुपये की आरसी जारी की गई है।
बिल्डर बोला- कार्रवाई गलत वहीं सुपरटेक के एमडी मोहित अरोड़ा का कहना है कि एनजीटी के आदेश के चलते प्रोजेक्ट का काम करीब दो साल बंद पड़ा रहा। लेकिन, प्राधिकरण ने इस समय का भी बकाया जोड़ दिया। जिसे माफ करने के लिए प्राधिकरण व सरकार से मांग की जा रही थी और हमें लगातार आश्वासन भी मिल रहा था। इसके अलावा प्रोजेक्ट को लेट करने के आरोप में भी पूरे प्रोजेक्ट पर चार्ज लगाया गया है, जबकि प्रोजेक्ट 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। यह धनराशि गलत है।
सोसायटी के निवासियों ने जताया रोष वहीं सुपरटेक केपटाउन के निवासियों ने प्राधिकरण की कार्रवाई पर इकट्ठा होकर रोष जताया। सुपरटेक केपटाउन निवासी शैलेंद्र वर्णवाल ने बताया कि वे 3 साल से इस सोसाइटी में रह रहे हैं। सोसाइटी में 4000 फ्लैट में लोग शिफ्ट कर चुके हैं। जिन्होंने बिल्डर को सारा पेमेंट भी कर दिया और रजिस्ट्री भी करा ली है। प्राधिकरण वह रकम बिल्डर से ही निकालें, लेकिन किसी भी फ्लैट बायर्स या निवेशक के हित को नुकसान नहीं होना चाहिए।