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अब विरोध में बच्चे व महिलाएं भी उतरे सड़कों पर, ये है पूरा मामला

locationनोएडाPublished: Dec 17, 2017 03:03:42 pm

Submitted by:

sharad asthana

शहर में अब बच्चे व महिलाएं भी सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं।

noida
नोएडा। डंपिंग ग्राउंड के विरोध में 42 दिन से चल रहे धरना प्रदर्शन के बावजूद कोर्इ सुनवार्इ न होने पर रविवार को एक मैराथन दौड़ का आयोजन किया। जिसमें अब बच्चे व महिलाएं भी हाथों में बैनर लिए सैकड़ों शहरवासियों के साथ सड़कों पर उतर गए। इसके साथ ही कर्इ सपा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा लेने पहुंचे। यह मैराथन दौड़ सेक्टर-38 ए स्थित पेट्रोल पंप से शुरू की गई। जिसमें बड़ी संख्या में बच्चें व महिलाएें भी दौड़ती दिखी।
सेक्टर-123 में बनना है डंपिंग ग्राउंड

बता दें कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर-123 स्थित 25 एकड़ क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड प्रस्तावित किया गया है। यहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण किया जाना है। प्लांट छह माह में बनाया जाना है। वहीं सेक्टर-123 के आसपास करीब आधा दर्जन गांव व छह रिहाएशी सोसायटियां हैं। जहां करीब 70 से 80 हजार लोग रहते हैं। ऐसे में यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यदि यहां डंपिंग ग्राउंड बनता है, तो लोगों का रहना दूभर हो जाएगा।
42 दिन से विरोध में चल रहा धरना

डंपिंग ग्राउंड में जनता के अलावा सामाजिक संगठन के लोग आैर समाजवादी पार्टी के नेता भी शामिल हो चुके हैं। इसको लेकर वह पिछले 42 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी नेता सैकड़ों लोगों के साथ हर दिन सेक्टर-122 गोलचक्कर पर धरना दे रहे हैं। लेकिन प्रशासन से लेकर प्राधिकरण तक ने इन लोगों की बात अभी तक नहीं सुनी। बतातें चले कि इस मामले में खुद केंद्रीय मंत्री डाॅक्टर महेश शर्मा के अलावा विधायक पंकज सिंह भी लोगों को आश्वासन दे चुके हैं। लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं निकाला जा सका है।
शहर से रोजाना निकलता है सैकड़ों मेट्रिक टन कूड़ा

शहर में प्रतिदिन करीब 650 मेट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इस कूड़े का निस्तारण पहले सेक्टर-138 स्थित एक भूखंड पर किया जाता था। लेकिन यहां के निवासियों की शिकायत याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने प्राधिकरण द्वारा यहां कूड़ा डालने पर रोक लगा दी और डंपिग ग्राउंड के लिए नोयिफाइड क्षेत्र घोषित करने के लिए कहा था। जिसके बाद प्राधिकरण ने सेक्टर-123 को नोटिफाइड किया। इसकी जानकारी मिलते ही लोगों ने यहां विरोध शुरु कर दिया। इसको लेकर लोग एनजीटी भी गए। लेकिन प्राधिकरण ने अपना नोटिफाइड क्षेत्र व पर्यावरण मानको का हवाला दिया। लिहाजा पक्ष में फैसला दिया गया।

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