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ठगी के लिए बनाई कंपनी, सैलरी पर रखे गए लड़के-लड़कियां, जब हुआ खुलासा तो पुलिस भी रह गई सन्न

locationनोएडाPublished: Sep 15, 2018 06:20:21 pm

नौकरी और लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाली फर्जी कंपनी का भंडाफोड़, 9 गिरफ्तार

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ठगी के लिए बनाई कंपनी, सैलरी पर रखे गए लड़के-लड़कियां, जब हुआ खुलासा तो पुलिस भी रह गई सन्न

नोएडा. बेरोजगार युवाओं को नौकरी और लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाली फर्जी कंपनी का कोतवाली फेज थ्री पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने कंपनी के नौ लोगों को गिरफ्तार उनके कब्जे से 14 मोबाइल, प्रिंटर, लैपटॉप आदि सामान बरामद किया है। आरोपियों ने पांच माह पहले यह कंपनी खोली थी। ये आरोपी नौकरी और लोन दिलाने के नाम पर विभिन्न राज्यों के 100 से अधिक लोगों को ठग चुके हैं। पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया है।

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पुलिस की गिरफ्त में खड़े मेरठ निवासी जावेद, रविन्द्र, सोहनवीर, मोहम्मद तजामूर, आकाश, मुजफ्फर नगर निवासी विपिन कुमार, फरमान, जॉली और बागपत निवासी अनित को कोतवाली फेज थ्री पुलिस ने कंपनी खोल कर युवाओं को नौकरी और लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार 13 सितम्बर को राजस्थान के दौसा जिले के उदयपुर निवासी अर्जुन लाला सैनी ने शिकायत दर्ज कराई कि कुछ लोगो ने सी-4 सैक्टर 63 नोएडा में एग्रो बिजनेस सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फर्जी कम्पनी चला रहे हैं। उन लोगों ने षडयन्त्र के तहत धोखाधड़ी कर फर्जी दस्तावेज तैयार किया और मुझे नौकरी देने का लालच दिया। उन लोगों ने लोन दिलाने के नाम पर मुझसे व मेरे द्वारा जोड़े गये एजेन्टो से कुल 3,56,000 रूपये अपने खातों में डलवा लिए। अब वे पैसे वापस नहीं कर रहे हैं और फोन पर गाली गलौज व जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

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इस शिकायत पर थाना फेस-3 की पुलिस ने सेक्टर-63 स्थित ऑफिस में छापा मारकर 9 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने मौके से 14 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक प्रिन्टर, अपॉइंटमेंट लेटर, ज्वॉनिंग फार्म, लोन एप्लाई फॉर्म, बैंक वेरिफिकेशन लेटर, सिग्नेचर गारन्टर के फार्म, फोन नम्बर की लिस्ट और लोन से सम्बन्धित ऑफर लेटर व प्रोविजनल लेटर बरामद किये गए हैं। पुलिस ने बताया कि सभी आरोपी 12वीं कक्षा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट हैं। नौकरी नहीं मिलने पर आरोपियों ने ठगी का धंधा शुरू किया था। आरोपी पढ़े लिखे लोगों को ही ठगी का शिकार बनाते थे। पुलिस के अनुसार आरोपी ऐसे लोगों का डाटा खरीदते थे, जो नौकरी की तलाश में जुटे हैं। खुद भी आरोपी नौकरी की विभिन्न वेबसाइटों से डाटा चोरी करते थे। आरोपियों के पास चोरी किए गए एक हजार से अधिक फोन नंबर मिले हैं। इन नंबरों पर कॉल कर आरोपी नौकरी का झांसा देते थे। ठगी करने के बाद नंबर बंद कर देते थे।

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