दो साल पुराना है मामला मामला 28 अगस्त 2016 का है। उस समय एसपी सिटी सलमान ताज पाटिल थे। शिकायत के अनुसार, अधिवक्ता अमित कुमार ने बताया था कि शाम को वह दो दोस्तों के साथ कार से जा रहे थे। शहर में चौधरी मोड़ के पास उनकी गाड़ी में डंपर ने टक्कर मार दी था, जिससे कार को नुकसान हुआ था। हादसे के बाद ट्रक आगे जाकर रुक गया था। आरोप है कि इस बीच लैपर्ड सवार कांस्टेबल सचिन वर्मा वहां पहुंचा और डंपर चालक से सेटिंग कर ली। आरोप है कि उसने आरोपी डंपर चालक से पैसे लेकर उसे जाने दिया। अमित कुमार ने जब गाड़ी में हुए नुकसान के बारे में बात की तो तत्कालीन सीओ समेत अन्य पुलिसवालों ने उससे मारपीट की। पुलिसकर्मी उसे और उकसे दोस्तों को घंटाघर कोतवाली ले गए और थाने में बंद कर दिया। आरोप है कि वहां तत्कालीन एसपी सिटी सलमान ताज पाटिल और अन्य अफसरों ने उसको पीटा।
जातिसूचक शब्द कहने का आरोप आरोप है कि जब अगले दिन पीड़ित वकील और परिजन कोतवाली पहुंचे तो तत्कालीन एसपी सिटी समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने पीड़ित और उनके पिता को जातिसूचक शब्द कहते हुए गाली दी। इतना ही नहीं पीड़ित से कांस्टेबल सचिन वर्मा के पैर भी छुआए गए। इस मामले में कोर्ट में मामला दायर किया गया था, जिसकी 19 जुलाई व 28 अगस्त को सुनवाई हुई थी। इसमें आरोपी अदालत में पेश नहीं हुए थे। इस मामले में तत्कालीन एसपी सिटी (आईपीएस) सलमान ताज पाटिल समेत 10 पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी सत्यप्रकाश त्रिपाठी की अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
इनको बनाया गया था आरोपी इस मामले में एसपी सिटी सलमान ताज पाटिल, सीओ इंद्रपाल सिंह, घंटाघर कोतवाल धीरेंद्र सिंह यादव, सब-इंस्पेक्टर केके राणा, बिजेंद्र पाल शर्मा, अमरीक सिंह, कांस्टेबल सचिन वर्मा, ओंकार सिंह, प्रवीण कुमार और श्याम लाल को आरोपी बनाया गया था। वहीं, इस मामले में पुलिस का क हना था कि उस दिन चौधरी मोड़ पर कार को चेकिंग के लिए रोकने के लिए कहा था। जब बैरिकेड लगाकर उन्हें रोका गया तो उन्होंने पुलिसकर्मियों से गाली-गलौज व मारपीट की थी।