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नोएडा के सेक्टर-94 स्थित श्मशान घाट में हाल ही में शवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ग्रेटर नोएडा से आने वाले शवों के अंतिम संस्कार पर रोक लगा दी गई थी। बाकायदा श्मशान के गेट पर इसके लिए नोटिस भी लगाया गया था। अब भी सेक्टर-94 के श्मशान घाट पर दिन-रात कोरोना संक्रमण से मरने वालों के अलावा अन्य का भी दाह संस्कार हो रहा है। श्मशान पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां कम न पड़ें, इसलिए मेरठ और हापुड़ से लकड़ियों की बड़ी खेतप मंगवाई जा रही है। बताया जा रहा है कि सेक्टर-94 के श्मशान पर पूरे एक साल का लकड़ियों का स्टॉक था, लेकिन एक माह से शवों की संख्या बढ़ने के कारण एक साल का स्टॉक महज एक माह में समाप्त हो गया है।
एक माह में 10 हजार कुंतल लकड़ियों का इस्तेमाल जानकारी के अनुसार
नोएडा सेक्टर- 94 के श्मशान में एक महीने में दिन-रात दाह संस्कार की प्रकिया में दस हजार कुंतल लकड़ियों का इस्तेमाल किया गया है। यहां अंतिम संस्कार कराने वालों की मानें तो एक शव के दाह संस्कार में 4 से 5 कुंतल लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। बता दें कि पूरे गौतमबुद्ध नगर में पिछले एक महीने में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। अभी भी यहां दाह संस्कार का सिलसिला जारी है। यहां दिन-रात शवों का दाह-संस्कार किया जा रहा है।
नोएडा के इन चार श्मशानों पर सिर्फ लकड़ियों का इस्तेमाल वहीं, अगर
नोएडा शहर की बात करें तो यहां सेक्टर-14 स्थित शनि मंदिर के पास स्थित श्मशान, बरौला सेक्टर-49 स्थित श्मशान, होशियारपुर सेक्टर-52 श्मशान के अलावा नंगली वाजिदपुर गांव सेक्टर-135 के पास बने श्मशान में कोरोना संक्रमितों के शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है। इन चारों श्मशानों में करीब 15 कोरोना संक्रमितों के शव रोजाना जलाए जा रहे हैं। हालांकि इन सभी श्मशानों में केवल लकड़ियों से ही अंतिम संस्कार होता है। इसलिए लकड़ियां तेजी से खत्म हो जा रही है। शवों के अंतिम संस्कार में लकड़ियों की कमी के चलते नोएडा प्रशासन ने हापुड़ और मेरठ से लकड़ियों की खेप मंगवाई है।