दरअसल नोएडा के लगभग 1360 सफ़ाई कर्मचारी पिछले 15 दिन से ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने और वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। लेकिन वेतन तो बढ़ा नहीं, पुलिस की मार पड़ी सो अलग। सफ़ाई कर्मचारियों का कहना है कि वह लोग प्रदर्शन करने आए थे। उन्हें हटा दिया गया है। पूरी अथॉरिटी को छावनी में तब्दील कर दिया गया।
बता दें कि दो दिन पहले तक 35 साल का सफ़ाई कर्मचारी अनिल भी इन्हीं सफ़ाई कर्मचारियों के साथ प्रदर्शन कर रहा था। लेकिन सोमवार को उसे नौकरी से निकालने का नोटिस दे दिया गया। परिवार वालों की मानें तो 6 बच्चों के पिता अनिल मानसिक तौर पर परेशान हो गए कि अब उन घर कैसे चलेगा। इसी ग़म में उसने आत्महत्या कर ली।
उधर एडीसीपी का कहना है कि कर्मचारी ने निजी कारणों से आत्महत्या की है। जहां तक आंदोलन की बात है तो इनकी प्राधिकरण के अधिकारियों से साथ बैठक भी हुई। इनकी मुख्य मांगों को मान लिया गया है। लेकिन कुछ कर्मचारी अपने निजी हितों को साधने के कारण अन्य कर्मचारियों को भड़का रहे हैं। प्राधिकरण के अधिकारियों की तहरीर पर तेरह सफाई कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। सफ़ाई कर्मचारी शुक्रवार को प्रदर्शन करते करते हिंसा पर उतर आए थे। इसलिए बल का प्रयोग करना पड़ा।