रेलवे भर्ती बोर्ड की गरुप डी ऑनलाइन परीक्षा में देशभर के लाखों आवेदकों ने आवेदन किया था। इस परीक्षा में बैठने वालों की तलाश कर उन्हें परीक्षा में पास कराने का ठेका लेने वाला गिरोह सक्रिय था। यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट को जानकारी मिली थी कि रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप डी की ऑनलाइन परीक्षा में सॉल्वरों बिठाने वाले संगठित गिरोह के कुछ सदस्य नोएडा के सेक्टर-62 में सक्रिय है। इसके इनपूट मिलते ही एक्शन में आ गए। पकड़े गए आरोपियों से 4 लाख 51 हजार 500 रुपये की नगदी, 3 कार, 100 अधिक एडमिट कार्ड, 85 कैंडिडेट्स के आधार कार्ड, वोटर कार्ड और अन्य पहचान पत्र, 8 मोबाइल फोन, चेक बुक, एटीएम कार्ड, लेनदेन की डायरी बरामद की गई है। पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
रेलवे के कर्मचारी भी शाामिल इस गैंग में न केवल बेरोजगार शामिल थे, बल्कि सरकारी नौकरी करने वाले भी संलिप्त थे। गैंग के सदस्य जॉब दिलवाने के नाम पर ठेका लेता था। पकड़े गए आरोपियों में मुखर्जी नगर (दिल्ली) और बिहार में आईएएस की तैयारी कर रहे युवा समेत रेलवे के ट्रैकमैन भी शामिल हैं। रेलवे में ट्रैकमैन के पद पर तैनात सुमित और अजीत गिरोह से जुड़े हुए थे। रेलवे की भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को ये दोनोंं ही तैयार करते थे। बाद में उन्हें सरगना संजीत दहिया से मिलवा देते थे। उसके बाद में अभ्यार्थियों से संजीत 2 से 6 लाख रुपये लेकर उनकी जगह सॉल्वरों से परीक्षा दिलवा दी जाती।
आईएएस और पीसीएस की तैयार कर रहे युवा थे सॉल्वर दिल्ली के मुखर्जी नगर में आईएएस और पीसीएस की तैयारी कर रहे युवाओं को सॉल्वरों के रुप में परीक्षा में बैठाया जाता था। पटना निवासी राहुल वहां से युवाओं को सॉल्वर भेजता। रुपये अच्छे मिले तो यह खुद ठेकेदार बन गया। इसने बिहार में पढ़े लिखे युवाओं को अपने गिरोह में शामिल कर लिया। प्रत्येक सॉल्वर को 30 से 60 हजार रुपये का भुगतान किया जाता। डीएसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि ये अभ्यर्थियों की फोटो से छेड़छाड़ कर एग्जाम फॉर्म कंप्लीट कराते थे। जिससे फोटो धुंधली हो जाती थी। उसके बाद में अभ्यर्थी जैसा दिखने वाला सॉल्वर आसानी से परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर जाता था। ऑनलाइन परीक्षाओं में सेंटर पर बॉयोमीट्रिक अटेंडेंस की वजह से पकड़ में आ गए।
रुपये किए गए फ्रीज एसटीएफ ने आरोपियों की कब्जे से 4 लाख 51 हजार रुपये कैश, 85 लोगों की आईडी, 100 से ज्यादा एडमिट कार्ड, 8 फोन, 3 कार, 8 फोन, 14 एटीएम कार्ड बरामद किए गए हैं। इस गैंग के सदस्य अभी तक 200 से भी ज्यादा छात्रों से 2 करोड़ से अधिक की कमाई कर चुके है। बैंक अकाउंट में मिले 14 लाख रुपयों को एसटीएफ ने फ्रीज करा दिया है।
ऐसे साल्व कराते थे परीक्षा राजकुमार मिश्रा ने बताया कि गैंग के सदस्य अभ्यर्थियों की फोटो से छेड़छाड़ कर फॉर्म भरवाते थे। इससे फोटो धुंधली हो जाती थी। इसके बाद अभ्यर्थी जैसा दिखने वाला सॉल्वर आसानी से परीक्षा केंद्र में प्रवेश पा जाता था। अभ्यर्थियों को शायद यह जानकारी नहीं थी है कि अब सभी ऑनलाइन परीक्षाओं में सेंटर पर बॉयोमीट्रिक अटेंडेंस ली जाती है। नौकरी जॉइनिंग के वक्त फिंगरप्रिंट मैच न होने की वजह से पकड़ा जाता है।
ये पकड़े गए हरियाणा के सोनीपत निवासी संजीत दहिया, नवीन मलिक, बागपत निवासी विक्रांत व सुमित, बिहार निवासी सन्नी, गजेंद्र कुमार और सुबोध कुमार हैं। गैंग का सरगना संजीत दहिया है। यह 2011 में फर्जी कागजातों से डीयू से एडमिशन लेने के मामले में जेल गया था। उसके बाद में यह नवीन मलिक के साथ मिलकर ऑनलाइन एग्जाम दिलवाने वाला सॉल्वर गिरोह बना गया।