हिंदू, धर्मशास्त्र में एक साल 12 शिवरात्रि पड़ती है। इनमें महाशिवरात्रि (
mahashivratri ) और सावन की शिवरात्रि ( Shivratri ) का काफी महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने वालों के पापों का नाश होता है। शादी-शुदा के अलावा अगर कुंवारी लड़कियां या फिर कुंवारे लड़के इस व्रत को सच्चे मन से रखते हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इसके साथ ही भगवान शंकर अपने सभी भक्तों के कष्ट को दूर करते हैं।
हालाकि भगवान शिव (
Lord Shiva ) की आराधना के लिए पूरे विधि विधान से पूजा करना चाहिए। लेकिन अगर आप किसी कारण वश विस्तार में पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो कुछ विशेष मंत्रों का जाप कर भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं।
कर्पूर गौरमं कारुणावतारं, संसार सारम भुजगेंद्र हारम | सदा वसंतां हृदयारविंदे, भवम भवानी साहितम् नमामि || मंगलम भगवान शंभू , मंगलम रिषीबध्वजा । मंगलम पार्वती नाथो, मंगलाय तनो हर ।। सर्व मंगल मङ्गल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्रंबके गौरी, नारायणी नमोस्तुते ।। अगर शिव मंत्र, शिव श्लोक, महामृत्युंजय मंत्र, शिव स्तुति और शिव गायत्री मंत्र नहीं भी जनता हो और सिर्फ ॐ नमः शिवाय का मंत्रोउच्चारण भी करे तो महादेव उनकी रक्षा को तत्पर रहते हैं, लेकिन विधिवत शिव पूजन और शिव मंत्रो से भी वो प्रसन्न होते है।
वैसे देवो में देव महादेव ( Mahadev ) को भोले भंडारी कहा जाता है। अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन सावन शिवरात्री के दिन भक्त मनचाहे फल की प्राप्ती के लिए विशेष पूजा कर सकते हैं। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सुबह उठ कर स्नान करके घर या मंदिर में शिव जी की पूजा करें। शिव जी के साथ
माता पार्वती और नंदी को भी पंचामृत जल अर्पित करें। ऐसा करने के बाद
शिवलिंग पर शिव मंत्र करते हुए फल-फूल, मिठाई और दूध-हदी जाप के साथ चढ़ाते जाएं।