दरअसल, फिलहाल किसी एक राज्य की टैक्सी सेवा बॉर्डर तक ही अपनी सर्विस देती है। इसके बाद यात्रियों को बॉर्डर क्रॉस करने के बाद दूसरे राज्य के वाहन की सेवा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे समय के साथ-साथ पैसों की भी बर्बादी होती है। लेकिन, अब नई व्यवस्था में आम लाेगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि एक अनुमान के अनुसार इससे 100 करोड़ रुपये की सालाना राजस्व हानि होगी।
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छोटा सा रजिस्ट्रेशन और सात लाख का मुफ्त बीमा, पत्नी व बच्चों का भविष्य करें सुरक्षित ये हुआ ज्वाइंट परिवहन समझौता दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आवागमन करने वाले यात्री वाहनों की निर्बाध आवाजाही के लिए राज्यों सरकारों के साथ एमओयू साइन किया है। इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। इस समझौते से बस, टैक्सी, ऑटो और शैक्षणिक संस्थानों के वाहनों को रोड टैक्स समेत अन्य टैक्स में राहत मिली है। चारों राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और 6 से ज्यादा यात्रियों को ले जाने वाले वाहनों को शामिल करते हुए एक ज्वाइंट परिवहन समझौता किया है। सीआरसीटीए को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। एनसीआर के राज्य इस नई व्यवस्था के तहत राजस्व को छोड़ने पर राजी हुए हैं।
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Toll Tax : अप्रैल से महंगा हो जायेगा टोल नाके से गुजरना, जानिए कितना देना होगा टोल टैक्स सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों में लगेंगे ट्रैकिंग डिवाइस सीआरसीटीए के तहत स्टेज कैरिज वाहनों के साथ अनुबंध कैरिज वाहनों की आयु पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए 15 साल तो डीजल वाहनों के लिए 10 वर्ष तक सीमित होगी। विशेष रूप से छूट प्राप्त को छोड़कर सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों में अनिवार्य रूप से वाहन स्थान ट्रैकिंग डिवाइस और इमरजेंसी बटन लगाए जाएंगे।