वहीं 2018 में पिछले साल हुए हादसे के बाद प्रशासन ने शाहबेरी इलाक़े की इमारतों को अवैध घोषित कर दिया था, क्योंकि शाहबेरी में बनी इमारतों का न ही नक़्शा पास कराया गया था और न ही प्रशासन से अनिवार्य अनुमति ही ली गई थी। अब सरकार न ही यहां सड़कें बना रही है और न ही सीवर। लेकिन बैंकों के लोन के तले दबे हज़ारों परिवार डर के साए में रहने को मजबूर हैं। शाहबेरी निवासी पंकज कहते है की हमें बैंक ने लोन दिया तभी तो हमने घर लिया, अब ईएमआई चुका रहे हैं, अगर इस मकान को बेचने का सोचे भी तो कोई घर खरीदने तैयार नहीं। शाहबेरी निवासी अरूण चौहान ने कहा- कैसे जमा पानी नहीं निकल रहा है नींव कमज़ोर हो रही है एक और बिल्डिंग गिरेगी तब प्रशासन जागेगा।
इस मामले पर जिलाधिकारी बीएन सिंह का कहना है कि पिछले साल के हादसे के बाद प्रशासन ने यहां बिल्डरों के ख़िलाफ़ लगभग 250 मुक़दमें दर्ज़ किए,गुंडा एक्ट लगाकर कई बिल्डरों को जेल भी भेजा, कई ईमारतें भी सील की गईं, गिरफ़्तारी के डर ये यहां के ज़्यादातर बिल्डर भागे हुए हैं ।