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VIDEO: शाहबेरी में रहने वाले परिवार ख़ौफ़ज़दा, अगर इस बरसात पिछले साल जैसा हादसा हुआ तो ज़िम्मेदारी किसकी?

locationनोएडाPublished: Jul 17, 2019 01:06:08 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

बारिश होते ही शाहबेरी में रहने वाले परिवार ख़ौफ़ज़दा
2018 नोएडा के शाहबेरी में इमारत गिरने से हुआ था बड़ा हादसा
लोगों ने कहा-लोन लेकर लिया घर, छोड़ कर नहीं जा सकते

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शाहबेरी में रहने वाले परिवार ख़ौफ़ज़दा, अगर इस बरसात पिछले साल जैसा हादसा हुआ तो ज़िम्मेदारी किसकी?

नोएडा। सोमवार को दिल्ली एनसीआर में मानसून की पहली बारिश के बाद जहां आम जनता ख़ुश है, वहीं ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में रहने वाले 20,000 से ज़्यादा परिवार ख़ौफ़ज़दा हैं, पिछले साल 17 जुलाई की रात शाहबेरी में दो इमारतें गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई थी, वहीं अगर इस बरसात पिछले साल जैसा हादसा हुआ तो ज़िम्मेदारी किसकी ?
दरअसल पिछले साल 17 जुलाई की रात हुई ज़बरदस्त बारिश के बाद दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी इलाक़े में दो बहुमंज़िला इमारतें ढह गई थीं। जिसमें नौ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, लेकिन हादसे के एक साल बाद शाहबेरी में हालात बेहद ख़राब हो चुके हैं। आधी बनीं ईमारतें, पानी से भरी टूटी सड़कें , घरों की दीवारों पर पड़ी दरारें और ईमारतों की नींव में भरता बारिश का पानी, शाहबेरी की बदहाली की दांस्तां बयान करता हैं। यहां के निवासी सतसंग उपाध्याय 2017 से शाहबेरी में रह रहे हैं और 17 जुलाई की वो खौफजदा रात का मंजर अब तक भूल नहीं पाये है। सतसंग बताते हैं पिछली 17 जुलाई से इस 17 के बीच काफी कुछ बादल गया है।
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वहीं 2018 में पिछले साल हुए हादसे के बाद प्रशासन ने शाहबेरी इलाक़े की इमारतों को अवैध घोषित कर दिया था, क्योंकि शाहबेरी में बनी इमारतों का न ही नक़्शा पास कराया गया था और न ही प्रशासन से अनिवार्य अनुमति ही ली गई थी। अब सरकार न ही यहां सड़कें बना रही है और न ही सीवर। लेकिन बैंकों के लोन के तले दबे हज़ारों परिवार डर के साए में रहने को मजबूर हैं। शाहबेरी निवासी पंकज कहते है की हमें बैंक ने लोन दिया तभी तो हमने घर लिया, अब ईएमआई चुका रहे हैं, अगर इस मकान को बेचने का सोचे भी तो कोई घर खरीदने तैयार नहीं। शाहबेरी निवासी अरूण चौहान ने कहा- कैसे जमा पानी नहीं निकल रहा है नींव कमज़ोर हो रही है एक और बिल्डिंग गिरेगी तब प्रशासन जागेगा।
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इस मामले पर जिलाधिकारी बीएन सिंह का कहना है कि पिछले साल के हादसे के बाद प्रशासन ने यहां बिल्डरों के ख़िलाफ़ लगभग 250 मुक़दमें दर्ज़ किए,गुंडा एक्ट लगाकर कई बिल्डरों को जेल भी भेजा, कई ईमारतें भी सील की गईं, गिरफ़्तारी के डर ये यहां के ज़्यादातर बिल्डर भागे हुए हैं ।
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