ये भी पढ़ें : navratri 2018 : देवी मां के नौ नाम और उनकी पूजा से मिलने वाले फल नव दुर्गा की पूजा के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने से ही इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। मां पार्वती का ही अवतार है। धार्मिक ग्रथों के अनुसार राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शंकर का भरी सभा में अपमान होने की वजह से माता सती ने अग्नि में खुद को भस्म कर लिया। जिसके बाद माता सती ने अपना अगला जन्म हिमालय राज के घर में लिया और शैलपुत्री कहलाई। पहले दिन माता की पूजा इसलिए की जाती हैं क्योंकि मां शैलपुत्री हिमालय राज की तरह की अडिग हैं उन्हें कोई हिला नहीं सकता। उसी तरह जब हम भक्ति का रास्ता चुनते हैं तो हमारे मन में भी भगवान के लिए इसी तरह का समर्पण और अडिग विश्वास होना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
मां शैलपुत्री की पूजा में सफेद फूल चढ़ाएं और सफेद बर्फी पेड़े का भोग लगाएं मां प्रसन्न होंगी। कुआंरी कन्याएं के सच्चे मन से पूजा करने पर उन्हें उत्तम वर की प्राप्ती होती है।
गाजियाबाद के मोहननगर स्थित माता के मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों की भारी भड़ी लगीं हुई है। भक्त लाइन लग कर माता की एक झलक पाने के इंतजार में हैं। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए गाजियाबाद प्रशास ने पहले से ही सुरक्षा के इंतजाम कर लिए हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि किसी भी श्रद्धालु को परेशानी नहीं हो।