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Shardiya Navratra 2019: इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए क्‍या पड़ेगा प्रभाव

locationनोएडाPublished: Sep 21, 2019 12:26:34 pm

Submitted by:

sharad asthana

Highlights

29 सितंबर यानी रविवार से शुरू हो रहे हैं Shardiya Navratra 2019
पिछले साल भी गज पर सवार होकर आई थीं मां दुर्गा
8 अक्टूबर को है दशमी, विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा

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नोएडा। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratra 2019) 29 सितंबर यानी रविवार से शुरू हो रहे हैं। देश में नवरात्र पर भव्‍य तौर पर आयोजन होता है। लोग अपने घरों में कन्‍याओं को जिमाते हैं और माता रानी का आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा माना जाता है क‍ि इन दिनों में माता रानी धरती पर आती हैं। वह एक वाहन पर सवार होकर धरती पे आती हैं और वापस भी वाहन से जाती हैं। माना जाता है क‍ि इसका असर भविष्‍य की घटनाओं पर पड़ता है।
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यह है मान्‍यता

सेक्‍टर-41 में रहने वाले पंडित रामप्रवेश तिवारी का कहना है क‍ि माता नवरात्र पर धरती पर निवास करती हैं। वह अपने वाहन से कैलास से धरती पर आती हैं। इस बार माता रानी गज वाहन यानी हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं। पिछले साल भी माता हाथी पर सवार धरती पर आई थीं। वह नंगे पैर वापस जाएंगी। इसका असर हमारे जीवन पड़ेगा।
यह पड़ेगा असर

धार्मिक मान्‍यता के अनुसार, जिस दिन से नवरात्र (Navratra 2019) का शुभारंभ होता है, उससे पता चलता है क‍ि माता किस वाहन पर सवार होकर आएंगी। सोमवार या रविवार को नवरात्र शुरू होने पर माता का आगमन हाथी पर होता है। शनिवार या मंगलवार को नवरात्र होने पर माता की सवारी घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार को माता डोली में आती हैं जबकि बुधवार को उनका वाहन नाव होता है। इस बार शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratra 2019) रविवार से शुरू होंगे। उनका कहना है क‍ि माता के हाथी पर आने के कारण आने वाला साल बारिश के लिहाज से अच्छा रहेगा। इससे फसल अच्‍छी होगी और किसानों के चेहरे खिलेंगे। यह किसानों के लिए शुभ संकेत है। उनकी आय भी बढ़ेगी। हालांकि, राजनीतिक क्षेत्र में उथल-पुथल मची रहेगी।
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नंगे पैर जाएंगी वापस

पुजारी रामप्रवेश तिवारी ने कहा कि इस साल माता नंगे पैर वापस जाएंगी। इस बार विजयदशमी मंगलवार को है। मंगल के दिन विदाई होने पर माता पैदल वापस जाती हैं। इसे अच्‍छा नहीं माना जाता है। माता का पैदल वापस जाना निराशा और व्याकुलता का संकेत माना जाता है।
शारदीय नवरात्र

29 सितंबर-प्रतिपदा – घट या कलश स्थापना

30 सितंबर- द्वितीया- माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होगी

1 अक्टूबर- तृतीया – चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी

2 अक्टूबर- चतुर्थी – कुष्मांडा स्वरुप की होगी पूजा
3 अक्टूबर- पंचमी- स्कंदमाता स्वरूप की पूजा

4 अक्टूबर- षष्ठी- कात्यायनी स्वरूप की पूजा होगी

5 अक्टूबर- सप्तमी- कालरात्रि स्वरूप की आराधना होगी

6 अक्टूबर- अष्टमी – दुर्गा अष्टमी

7 अक्टूबर- नवमी – नवमी हवन
8 अक्टूबर- दशमी- माता का विसर्जन, विजयादशमी या दशहरा

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