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विधानसभा चुनाव 2017 से पहले ही शिवपाल यादव हाशिए पर आ गए थे। इस दौरान यादव परिवार में कलह भी सामने आई थी। उस दौरान अखिलेश यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव एक मंच पर खड़े नजर आए, जबकि मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल के। अब अखिलेश यादव के पार्टी की संभालनेे के बाद में शिवपाल यादव खुद को और भी हाशिए पर मानने लगे थे। हालाकि यूपी में विधानसभा चुनाव 2017 शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी सेक्युलर मोर्चा बनाने की घोषणा की थी। समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा बनाने के बाद में उन्होंने अपील की है कि जो लोग चाहते हैं वे मोर्चा का सदस्य बन सकते है। दरअसल में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की कमान को लेकर शिवपाल और अखिलेश के बीच में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई थी। जनवरी 2017 में अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकारिणी की मीटिंग बुलाकर मुलायम को हटाकर खुद को समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया था और चाचा शिवपाल यादव से यूपी प्रदेश अध्यक्ष का पद छीन लिया था। हालाकि उससे पहले ही कई सीटों पर विधानसभा चुनाव 2017 के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई थी। इनमें कई सीटों पर घोषित किए गए प्रत्याशी शिवपाल यादव के करीबी माने जाते थे। जिनका टिकट चुनाव से ऐन वक्त पहले काट दिया। टिकट कटने के बाद में अखिलेश यादव को कार्यकर्ताओं और पदाधिकाारियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था।
वहीं गौतमबुद्धनगर की तीनों विधानसभा सीट से भी प्रत्याशियों के टिकट काटे गए थे। दादरी, नोएडा और जेवर विधानसभा चुनाव पर प्रत्याशी बदले गए थे। जेवर विधानसभा क्षेत्र से बेवन नागर, नोएडा से अशोक चौहान और दादरी से रविंद्र भाटी को प्रत्याशी बनाया गया था। इन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता है। बाद में तीनों विधानसभा में प्रत्याशी बदल दिए गए। हालाकि विधानसभा चुनाव के दौरान तीनों ही सीट सपा हार गई थी। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले जिन नेताओं के टिकट काटे गए थे वे शिवपाल के साथ आ सकते है।