नोएडा की झुलसाती गर्मी और कंक्रीट के जंगल में बढ़ते तापमान के बीच सोरखा में लोगों को अब राहत मिलने लगी है। यहां जहां हरे-भरे पेड़-पौधों के साथ चिड़ियों की चहचहाहट बढ़ने लगी है, वहीं पेड़ों की ठंडक लोगों को सुखद अहसास कराने लगी है। बता दें कि पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा के नेतृत्व में एचसीएल के सहयोग से सोरखा गांव में वन स्थापित करने की मुहिम शुरू गई थी। इसके तहत वीरान खाली जगह पर अब करीब 70 हजार हरे पेड़-पौधे लगा दिए गए हैं, जो आबादी के लिए शुद्ध हवा का अच्छा स्रोत हैं। जिले के पूर्व जिलाधिकारी बीएन सिंह का कहना है कि सोरखा गांव नोएडा अथॉरिटी का हिस्सा था। इस काम में गांव के लोगों को जोड़ा गया। जिसके परिणाम सबके सामने हैं।
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कृषि यंत्रों की खरीद और ड्रिप इरीगेशन के लिए भारी अनुदान दे रही है यूपी सरकार कृत्रिम तालाबों से की जाती है सिंचाई सोरखा का जंगल पूरी तरह से अब आत्मनिर्भर हो चुका है। यहां के पौधों की सिंचाई कृत्रिम तालाबों के माध्यम से की जाती है। पीपल बाबा बताते हैं कि जहां कहीं भी वह कृत्रिम जंगल बनाने की शुरुआत करते हैं। वहां पर सबसे ढलान वाली जगह पर तालाब का निर्माण जरूर करवाते हैं। हर साल बरसात के दौरान इन कृत्रिम तालाबों में पानी भर जाता है। इन्हीं तालाबों से जितना पानी निकालेंगे, जमीन से उतना पानी पुनः आ जा जाता है। साहिद का कहना है कि कोरोना काल में जब पानी के टैंकर आने बंद हो गए तो जंगल के बीच स्थित इस कृत्रिम तालाब ने सोरखा के जंगल के पेड़-पौधों के साथ जीवों की जान भी बचाई।
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पांच दिन का यलो अलर्ट पारा 42 डिग्री पार,लू के थपेड़ों से लोग बेहाल मिसाल बना सोरखा का जंगल नोएडा के बीच स्थापित सोरखा का जंगल अब मिसाल बन चुका है। यहां करीब 58 प्रकार के जीव आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। जबकि वन विभाग हर साल जिले में लाखों की संख्या में पौधारोपण करने का काम करता है, लेकिन आज तक वन विभाग अपने रोपे गए पौधों की देखभाल ठीक तरह से नहीं कर पाया है। जिसके कारण नोएडा में पेड़ों की संख्या कम होती गई और हरियाली गायब हो गई।
By- KP Tripathi