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ये है उत्‍तर प्रदेश का राज्‍य पशु, इस वजह से अब कर रहा घर वापसी

locationनोएडाPublished: Jul 05, 2018 10:31:06 am

Submitted by:

sharad asthana

क्‍या आपको पता है क‍ि UP का State Animal कौन सा है

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ये है उत्‍तर प्रदेश का राज्‍य पशु, इस वजह से अब कर रहा घर वापसी

नोएडा। क्‍या आपको पता है क‍ि उत्‍तर प्रदेश का राज्‍य पशु कौन सा है? शायद आपको यह भी नहीं पता होगा कि ये कहां पाए जाते हैं। आइए हम आपको बताते हैं क‍ि उत्‍तर प्रदेश का राज्‍य पशु कौन सा है। ये अपने घर से बेघर हो गए थे। हालांकि, अब बरसात के मौसम में इनकी घर वापसी हो रही है। ये विश्व की संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में सम्मिलित हैं।
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घर वापसी कर रहे बारहसिंघा

बारहसिंघा उत्‍तर प्रदेश का राज्‍य पशु है, जो बरसात शुरू होने पर मेरठ की हस्तिनापुर सेंचुरी में वापस आ रहे हैं। दरअसल, सर्दियों में उत्‍तराखंड की ओर रुख कर लेते हैं। अब बरसात में वहां बाढ़ आने के कारण ये घर वापसी कर रहे हैं। मुख्‍य वन संरक्षक प्रचार-प्रसार मुकेश कुमार का कहना है क‍ि वाइल्‍ड लाइफ इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्‍ल्‍यूआईआई) के एक अध्‍ययन में इनके हस्‍तिनापुर की ओर रुख करने का पता चला है। उनक कहना है क‍ि जीपीएस सैटेलाइट कॉलर की मदद से बारहसिंघा के उत्‍तराखंड से उत्‍तर प्रदेश में आने की जानकारी मिली है।
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Barhsingha
डब्‍ल्‍यूआईआई ने किया था सर्वे

उन्‍होंने कहा कि पिछले दिनों देहरादून स्‍थ‍ित डब्‍ल्‍यूआईआई ने गंगा किनारे उत्‍तराखंड और उत्‍तर प्रदेश के हस्तिनापुर में बारसिंघा पर एक सर्वे किया था। यहां इनकी संख्‍या करीब 400 पता चली थी। इनमें सबसे ज्‍यादा उत्‍तराखंड में मिले थे। उत्‍तराखंड के झिलमिल ताल के पास इनकी इतनी संख्‍या लोगों को हैरान कर देने वाली रही।
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बिजनौर से ऊपर है झिलमिल ताल

बारहसिंघा पर अध्‍ययन करने वाली टीम में शामिल विशेषज्ञ डॉ. सम्राट मंडल के अनुसार, उत्‍तराखंड का झिलमिल ताल यूपी के बिजनौर से करीब 20 किमी ऊपर है। झिलमिल ताल के पास दो फीमेल बारहसिंघा पर जीपीएस सैटेलाइट कॉलर लगाकर अध्‍ययन शुरू किया गया था। यह करीब एक महीने पहले की बात है। इनमें से एक उत्‍तराखंड और दूसरा हस्‍तिनापुर सेंचुरी पहुंचा। उन्‍होंने कहा कि कॉलर की मदद से हर तीन घंटे में बार‍हसिंघा की लोकेशन मिलती रहती है।
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1986 में बनी थी हस्तिनापुर सेंचुरी

2073 वर्ग किलोमीटर में फैली हस्तिनापुर सेंचुरी का निर्माण 1986 में बारहसिंघा को बचाने के लिए किया गया था। बारहसिंघा की मौजूदगी बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ और गाजियाबाद तक है। हालांकि, अभी इनके यहां से जाने की कोई ठोस वजह नहीं पता चली है। बताया जा रहा है क‍ि बारिश में ये पहाड़ों से नीचे आ जाते हैं और सर्दियों में वहां चले जाते हैं। मौसम और दलदली जमीन पर बढ़ रही खेती को भी इनके घर छोड़ने की वजह माना जा रहा है। मुख्‍य वन संरक्षक प्रचार-प्रसार का कहना है क‍ि अभी अध्‍ययन जारी है। इसमें यह भी पता लगाया जा रहा है क‍ि ये यहां से क्‍यों जाते हैं।
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कौन है बारहसिंघा

दरअसल, बारहसिंघा के सींगों की संख्या 12 के आसपास होती है, जिस कारण इन्‍हें यह नाम दिया गया। ये दलदली जगह पर पाए जाते हैं। इस कारण इन्‍हें स्वैम्प डियर भी कहा जाता है। ये शाकाहारी होते हैं और इनकी ऊंचाई 130-135 सेमी. होती है। इनका वजन लगभग 180 किग्रा. होता है।
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