उन्होंने कहा कि यह हड़ताल वर्ष 2004 और 2014 से भी बड़ी होगी। ऐसा खामियाजा आम जनता को भी भुगतना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छह महीने में प्राधिकरण को प्लॉट अलॉट करने का आदेश दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी प्राधिकरण ने ट्रांसपोर्टरों को प्लॉट अलॉट नहीं किए। इस मौके पर सभी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्राधिकरण ने सेक्टर-69 में 69 एकड़ भूमि पर ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की घोषणा की थी। इसमें 501 प्लॉट, दुकान, पार्किंग व अन्य मूलभूत सुविधाएं देने की घोषणा की थी। जिसके बाद ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण करने का कार्य शुरू किया गया था। एक साल में सड़के, नालियां, पार्किंग व बाउंड्री बनकर तैयार कर दी गई थी। इसके बावजूद आज तक ट्रांसपोर्ट नगर में किसी भी ट्रांसपोर्ट को कब्जा तक नहीं दिया गया है।
ट्रांसपोर्ट्स के 27 करोड़ रुपये जमा कर बैठे हैं, प्राधिकरण अधिकारी
वेदपाल सिंह ने बताया कि प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में तीन साल पहले ट्रांसपोर्ट नगर में 18,180 रुपए प्रति वर्ग मीटर का रेट तय किया था। इसके लिए बैंकों में 5 हजार रुपए फार्म फीस, 10 हजार रुपए प्रोसेसिंग फीस व 4 लाख रुपए फार्म भरने वाले प्रत्येक ट्रांसपोर्टरों ने जमा किए। इसके तहत कुल 625 ट्रांसपोर्टरों ने फार्म भरे थे। इसके हिसाब से करीब 27 करोड़ रुपए ट्रांसपोर्टरों ने जमा किए थे। प्राधिकरण ने सभी का रुपया तो ले लिया, लेेकिन आज तक किसी भी ट्रांसपोर्ट को प्लॉट अलॉट नहीं किया है।
प्राधिकरण अधिकारियों ने नहीं माना इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
प्लॉट अलॉट ना होने के चलते ट्रांसपोर्टर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एक साल तक चली सुनवाई के तहत 3 मई 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्टस के हक में फैसला सुनाते हुए, नोएडा प्राधिकरण को छह महीने में प्लॉट देने का आदेश दिया था। साथ ही जो ट्रांसपोर्टर प्लॉट लेना नहीं चाहते। उनका पैसा छह प्रतिशत ब्याज के साथ वापस देने का आदेश दिया था। आरोप है कि इसके बावजूद अभी तक प्राधिकरण अधिकारियों ने ना तो ट्रांसपोर्टस को प्लॉट अलॉट किए हैं और ना ही किसी का पैसा वापस दिया।
करोड़ों का कारोबार ठप होने के साथ ही शहरवासी भी होंगे परेशान
अगर 31 अक्टूबर तक ट्रांसपोर्टरों को प्लॉट अलॉट नहीं हुए तो वे 1 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर चले जाएंगे। इसमें ट्रक एसोसिएशन से लेकर बस आैर आॅटो वाले भी शामिल हैं। एेसे में अगर ये लोग धरने पर गए तो शहर को करोड़ों का नुकसान होने के साथ ही परेशानी उठानी पड़ेगी।