मुख्य बातें:—
गौतमबुद्ध नगर ज़िला सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंचा
नदी, तलाब, कुएं व पोखरों की संख्या 1952 में 1665 थी, अब रह गए 381
यूपी के इस जिले में कुछ साल बाद नहीं मिलेगा पानी
यूपी के इस जिले में कुछ साल बाद नहीं मिलेगा पानी
अरविंद उत्तम @पत्रिकानोएडा. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day 2019) है। पानी की कमी आज लोगों के लिए समस्या बनने लगी है। यूपी का अहम जिला गौतमबुद्ध नगर सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंच चुका है। विश्व पर्यावरण दिवस पर पत्रिका ने पानी को लेकर पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पर्यावरणविदों की माने तो अथाॅरिटी व सरकार ने कड़े उपाय नहीं किए तो हालात खराब होंगे। कुछ सालों में ही पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना होगा।
यह भी पढ़ेंः VIDEO: प्रधानमंत्री बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के नाम पर हो रहे खेल की हकीकत जानकर रह जाएंगे हैरान लगातार जल दोहन से हालात हो रहे खराब पर्यावरणविदों का कहना है कि गगनचुंबी इमारतों की नींव डालकर विकास की नई इबादत गढने में मशगूल गौतमबुद्ध नगर जिले मे आने वाले दिनों में पानी का संकट झेलना पड़ सकता है। पिछले कुछ वर्षो मे तेजी से विकास के नाम पर इमारतें खड़ी की गई और पानी का दोहन हुआ है। जिसकी वजह से यमुना और हिंडन के दोआब में बसे होने के बावजूद गौतमबुद्ध नगर ज़िला सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंच चुका है। हालांकि वर्ष 2009 तक यह सेफ जोन में था। इस स्थिति को सुधारने के लिए शुरू की गईं रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी योजनाएं सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गई हैं। हालात यही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब जिले में पानी 150 फुट से नीचे पहुंच जाएगा।
यह भी पढ़ेंः VIDEO: सैकड़ों युवकों ने मांगी राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु, हैरान कर देने वाली है वजह सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंचा गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, गौतमबुद्ध नगर जिले में वर्ष 2011 के दौरान कुल 59,913 हजार हेक्टेयर मीटर ग्राउंड वॉटर मौजूद था, जिसमें 51 पर्सेंट पानी का दोहन हो चुका है। विभाग के मुताबिक पूरे प्रदेश में ग्राउंड वॉटर निकालने की सबसे तेज दर गौतमबुद्धनगर की है। यहां 82 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से पानी बर्बाद किया जा रहा है। विभाग ने भूगर्भ जल दोहन के आधार पर जेवर ब्लॉक को क्रिटिकल जोन में शामिल किया है। असल में वहां सिंचाई के लिए किसानों के पास नहरी पानी की सुविधा नहीं है। इसके चलते वे ट्यूबवेल का यूज करते हैं। हैरानी की बात यह है कि यमुना और हिंडन नदी के बीच बसा नोएडा सेमी क्रिटिकल जोन में पहुंच गया है। वर्ष 2002 तक यह एरिया भी सेफ जोन में शामिल था।
अवैध वॉटर प्लांटों से भी बिगड़ी है स्थिति इसके बाद शहर में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज बढ़ने और जमीन में बेसमेंट बनाने के लिए गंदे नालों और सीवरों में ग्राउंड वॉटर बहाने से भूगर्भ जल का स्तर तेजी से गिरना शुरू हो गया। इसके अलावा मिनरल वाटर के लिए जगह-जगह खुले अवैध वॉटर प्लांटों से भी स्थिति काफी बिगड़ी है। विकास के नाम पर शहर मे जिस कदर इमारतें आसमान को छू रही है ठीक उसी रफ्तार मे जमीन का जल स्तर भी गिरता जा रहा है। नींव खोदने पर निकलने वाले पानी को नालों में बहाया जा रहा है, मिनिरल वॉटर के लगे सैकडों अवैध प्लान्ट लोगों की प्यास तो बुझा रहे है, लेकिन धरती की कोख को भी सुखा रहे है।
गढी गॉव निवासी किसान गिरी राम सिहं ने बताया कि पहले पानी 18-20 फीट पर था जबसे बिल्डरों ने बेसमेंट बनाने शुरू किये है। उस समय से 200-250 फीट पर चला गया है। अब इतनी गहराई से पानी निकालने के लिए पंप चाहिये, लेकिन पंप को चलाने के लिए लाइट नहीं है। हर किसी के पास जनरेटर नहीं है। कुएं तलाब सूख गये हैं। उन पर अवैध कब्जा हो गया है।
यह भी पढ़ेंः VIDEO: बंद मकान से आ रही थी बदबू, पड़ोसियों ने अंदर जा कर देखा उड़ गए होशबदल रहे हालात • भूगर्भ जल विभाग ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा को चार जोन में बांटा हुआ है। वर्ष 2008 की विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक बिसरख, दादरी, दनकौर और जेवर विकास खंड सेफ जोन में थे। लेकिन अब आई रिपोर्ट के मुताबिक, बिसरख जोन सेमी क्रिटिकल जोन, दनकौर सेमी क्रिटिकल, जेवर क्षेत्र अतिदोहित और पुरानी आबादी वाला इलाका दादरी सेफ जोन में है। इसके अलावा जिले में 1952 में नदी, तलाब, कुएं और पोखरों की संख्या 1665 थी, अब इनकी संख्या 381 पहुंच गई।
यह भी पढ़ेंः AKTU की यूपीएसईई परीक्षा का परिणाम घोषित, पहले और दूसरे नंबर पर गाजियाबाद का बजा डंकागिरते भूजल स्तर से हैंडपंप दे रहे जवाब गौतमबुद्धनगर जिले मे करीब 10 साल पहले तक नोएडा में भूजल का स्तर 60-70 फुट तक मिल जाता था। हालांकि शहर में बन रही मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स और बेसमेंट्स के कारण ग्राउंड वॉटर लेवल गिरकर 130-140 फुट तक पहुंच गया है। यही कारण है कि उस समय 80 फुट के आसपास गहराई पर लगाए गए अधिकांश हैंडपंप अब सूख गए हैं। जल निगम के अनुसार इन हैंडपंप्स की री-बोरिंग कराकर इनकी गहराई बढ़ाने की कोशिश की गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। मौजूदा समय में शहर के गांवों में 70 पर्सेंट हैंडपंप सूखे पड़े हैं। नोेएडा के निठारी गांव में 26 में से 22, होशियारपुर में 25 में से 17, नया बांस में सभी 3, हरौला में 10 में से 8, बख्तावरपुर व सदरपुर में 22 में से 3, अट्टा-छलेरा में 20 में से 14,बरौला में 50 में से 10, सलारपुर में 80 में से 76, हाजीपुर – गेझा में 30 में से 20 हैंडपंप पिछले कई साल से शोपीस बने खड़े हैं।