नोएडा। समाजवादी पार्टी में चाचा—भतीजे के बाद बाप बेटे में चल रही रार में नेता से लेकर कार्यकर्ता तक असमंजस में आ गये हैं। वहीं, बार—बार बदल रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष आैर नेताआें को निकाले जाने के चलते घमासान मचा हुआ है। यही कारण है कि परेशान होकर प्रत्याशियों आैर कार्यकर्ताआें ने प्रचार प्रसार रोक दिया है।
अखिलेश की लिस्ट में नहीं है किसी भी प्रत्याशी का नाम
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लिस्ट आने के बाद से ही घमासान सा मचा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि अखिलेश की लिस्ट में गौतमबुद्घनगर की तीन विधानसभा से खड़े प्रत्याशियों में से एक का भी नाम नहीं है। हाल में खड़े सभी प्रत्याशी शिवपाल के चहेते हैं। एेसे में शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद से सभी प्रत्याशी डरे हुए थे। करीब दो माह पहले ही टिकट की घोषणा के बाद से सभी प्रत्याशी जन सभा करने में जुटे थे। लेकिन अचानक पार्टी के मुखियाओं में हुर्इ रार से सभी प्रत्याशी खामोश हैं।
बात करने से बच रहे है विधानसभा प्रत्याशी
सपा की इस रार को लेकर विधानसभा प्रत्याशियों से बात करने का प्रयास किया गया। एेसे में फोन करने पर सभी नेताआें ने बैठक होने आैर बाद में बात करने का बहाना देकर फोन काट दिया। एेसे में सभी प्रत्याशी बात करने से बचते दिखार्इ दिये। इसके साथ ही प्रत्याशियों ने प्रचार प्रसार करना बंद कर दिया है। इसका कारण दो खेमों में बटा होना भी है।
अखिलेश की चली तो ये हो सकते है विधानसभा प्रत्याशी
माना जा रहा है कि अगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चली तो नोएडा से सुनील चौधरी, दादरी विधानसभा सीट से राजकुमार भाटी आैर जेवर विधानसभा सीट से नरेंद्र नागर का टिकट देने की उम्मीद जतार्इ जा रही है। अखिलेश की लिस्ट में इन तीनों नेताआें के नाम सामने आये है। वहीं अगर अखिलेश यादव अपनी अलग पार्टी भी बनाते है, तो इन नेताआें का टिकट लगभग फाइनल होगा।
मुखियाआें की रार में प्रचार प्रसार की जगह आपस में ही लड़ रहे है कार्यकर्ता
सपा पार्टी में चाचा भतीजे के बाद बाप बेटे में हो रही रार के बाद कार्यकर्ता दो खेमों में बट गये हैं। एेसे में प्रचार प्रसार को भुलकर कार्यकर्ता एक दूसरे के दुश्मन हो गये हैं। कार्यकर्ता अब मुलायम आैर अखिलेश के समर्थक बनकर आपस में लड़ रहे हैं।