
मेडिकल कालेज में दो माह से डिब्बे में पैक्ड लाखों की मशीनों पर जम रही धूल की लेयर, इंस्टालेशन प्रभावित होने से नहीं मिल रहीं सुविधाएं
मेडिकल कालेज संबद्ध अस्पताल में मॉड्यूलर ब्लड बैंक का निर्माण अधूरा छोड़ कर ठेकेदार गायब हो गया । इससे दो माह से मशीनों का इंस्टॉलेशन कार्य प्रभावित हो गया है। बाहर आए तकनीशियन को भी लौटना पड़ा। मशीनें नवजात शिशु चिकित्सा गहन इकाई के सामने गैलरी में डिब्बे में पैक्ड हैं। लाखों की मशीनों पर धूल की लेयर जमा हो रही है। ऐसे में अगस्त में चालू होने वाला ब्लड बैंक दिवाली पर भी शुरू नहीं हो सकेगा।
एमएस ने डीन को लिखा पत्र
मेडिकल कालेज के सहायक संचालक डॉ सुनील बाजोरिया ने कंस्ट्रक्शन करने वाले ठेकेदार से संपर्क किया तो फोन रिसीव नहीं हो रहा है। उन्होंने कई बार प्रयास करने के बाद डीन को पत्र देकर कार्य बंद होने की जानकारी दी है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक के अलावा मेडिकल कालेज का ब्लड बैंक पुरानी अस्पताल भवन के ऊपरी छोर पर आधुनिक सुविधाओं के साथ ब्लड बैंक तैयार किया जा रहा है। इस ब्लड बैंक से अस्पताल में भर्ती होने वाले हजारों मरीजों को सहूलियत मिलेगी।
एसडीपी की एक डोज से 20-30 हजार बढ़ सकेगी प्लेटलेट्स
जिला ब्लड बैंक ऑफिसर कहते हैं कि मॉड्यूलर ब्लड बैंक यूनिट से मरीजों को सहूलियत मिलेगी। ब्लड यूनिट में एसडीपी ( सिंगल डोनर प्लेटलेट ) मरीजों को मिल सकेगा। अभी यह सुविधाएं एम्स और भोपाल जैसे अस्पताल में मिल रही है। जैसे डेंगू के मरीज की प्लेटलेट तेजी से बढ़ाना है तो इसमें सुविधा उपलब्ध रहेगी। एसडीपी के एक डोज से एक साथ 20 से 30 हजार प्लेटलेट बढ़ सकेगी। वर्तमान में अभी पांच से दस हजार तक ही बढ़ पाती हैं।
एक यूनिट ब्लड से चार मरीजों की बचेगी जिंदगी
मॉड्यूलर ब्लड बैंक में आधुनिक मशीनें लगेंगी। यहां पर ब्लड बैंक और ट्रांसफ्यूजन सुविधा रहेगी। डेढ़ हजार यूनिट से अधिक ब्लड रखने की क्षमता होगी। इस यूनिट में एक यूनिट ब्लड से एक साथ चार मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। ब्लड कंपोनेंट के साथ सेपरेशन यूनिट पूरी क्षमता से शुरू होगी। मशीनें दो माह पहले आ चुकी हैं। कंस्ट्रक्शन का कार्य अधूरा है। इससे मशीनों का इंस्टॉलेशन भी नहीं हो पा रहा है। ब्लड सेपरेशन यूनिट शुरू होने से एक ब्लड यूनिट से चार चीजें अलग होंगी। ब्लड बैंक ऑफिसर डॉ संकेत के मुताबिक पीआरबीसी पैक्ड रेड , एफएफपी, पीआरपी और हाेल ब्लड अलग-अलग किया जा सकेगा। इसमें प्लेटलेट्स क्राओपीसीपीटल को अलग-अलग उपयोग कर सकेंगे। इससे एक ही यूनिट ब्लड से चार लोगों की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।
मरीजों के साथ प्रसूताओं को मिलेगी सहूलियत
अस्पताल में ऑपरेशन, सर्जरी और प्रसूताओं के लिए खून की जरूरत ज्यादा होती है। आधुनिक ब्लड बैंकसे जरूरतमंदों की भरपाई करेगा। खून की कमी सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को होती है। लेडी बटलर में रजिस्टर्ड होने वाली प्रसूताओं में अधिकतर एनिमिक होती हैं। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड बैंक से 70 प्रतिशत खून सिर्फ गर्भवती महिलाओं लगता है। शेष 20 प्रतिशत बीमारी के मरीजों को लगता है। सबसे कम दुर्घटना में घायलों को खून दिया जाता है।
अक्सर रहती है ब्लड की कमी
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में 500 यूनिट क्षमता है। यहां पर अक्सर ब्लड की कमी रहती है। दो दिन पहले की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 70-80 यूनिट ब्लड जमा रहा। इसमें भी रेगुलर मरीजों के तीमारदार एक्सचेंज के लिए आ रहे हैं। अभी हाल में पॉलिटेक्निक कालेज में छात्रों के रक्तदान से 32 यूनिट से अधिक ब्लड मिला। इसी तरह रक्त वीर और तीमारदार ब्लड बैंक में खून दान के लिए पहुंच रहे हैं। इससे मरीजों को भरपाई हो जाती है।
इंस्टॉलेशन का कार्य बाकी
इनका कहना, सहायक संचालक मेडिकल कालेज डॉ सुनील बाजाेरिया का कहना है कि ब्लड बैंक जल्द चालू होगा। सभी मशीनें आ गई हैं। इंस्टॉलेशन का कार्य बाकी है। मॉड्यूलर ब्लड बैंक भवन में अभी कंस्ट्रक्शन का कार्य बंद है। फोन पर संपर्क किया गया। लेकिन रिसीव नहीं हुआ। इस संबंध में डीन साहब को पत्र देकर अवगत कराया गया है।
Published on:
14 Oct 2024 12:10 pm
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