इन मसलों पर बहस हुई तो हंगामा भी निश्चित है। राजग की घटक शिवसेना भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर चुकी है। तृणमूल कांïग्रेस ने महिला आरक्षण बिल इसी सत्र में रखने और पारित कराने की बात रखी, तो कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद का कहना है कि हम विचारधारा को लेकर संघर्ष जारी रखेंगे। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने से भी विपक्ष खफा है। उसका मानना है कि विधानसभा चुनाव इसलिए टाले जा रहे हैं क्योंकि भाजपा को हार का डर है। चुनाव सुधारों का मसला भी विपक्ष उठाएगा।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक देश एक चुनाव’ पर विचार करने के लिए 19 व 20 जून को बैठक बुलाई है। पिछली 16वीं लोकसभा में राजग को पूर्ण बहुमत होने के कारण विधायी कार्य निपटाने में बड़ी सफलता मिली थी। 70 साल के संसदीय इतिहास में सबसे ज्यादा 133 विधेयक पारित और 45 अध्यादेश लागू किए गए। फिर भी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, उपभोक्ता सुरक्षा, ट्रिपल तलाक और यांत्रिक वाहन विधेयकों समेत कुल 46 विधेयक लैप्स हो गए। 16वीं लोकसभा के दौरान हालांकि विधायी कार्य ज्यादा हुआ, लेकिन हंगामा और नोक-झोंक में काफी वक्त बर्बाद हुआ। बेरोजगारी, जीडीपी, जीएसटी, नोटबंदी और ट्रिपल तलाक, राफाल घोटाला, बालाकोट एयर स्ट्राइक और किसानों के मुद्दे पर विपक्ष ने कई दिन संसद नहीं चलने दी। हालांकि आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी पर जनता ने विश्वास जताया और भारी बहुमत से उन्हें जीत मिली। इस बार पक्ष और विपक्ष से जनता से जुड़े विकास के मुद्दों पर सार्थक चर्चा की उम्मीद है।
विपक्ष को भी समझ लेना चाहिए कि आमजन विधायी कार्यों में अनावश्यक अड़ंगे बर्दाश्त नहीं करता। पहले सत्र में ज्यादा से ज्यादा काम सुनिश्चित हो। विपक्ष के उठाए सवालों पर सत्ता पक्ष उन्हें उलझाने की बजाय सार्थक पहल करे। बेरोजगारी दूर करने, किसानों की भलाई समेत तमाम लंबित मुद्दों पर निर्णय किए जाएं। यदि सभी दल चाहें तो हर मुद्दे पर सर्वस मति बन सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि बजट सत्र सौहार्दपूर्ण वातावरण में आमजन की खुशहाली के फैसले लेकर आएगा।