scriptआपकी बात, कोरोना गाइडलाइन के मामले में नेता लापरवाह क्यों हैं? | Aap ki baat: Why are leaders negligent in the Corona Guideline case? | Patrika News

आपकी बात, कोरोना गाइडलाइन के मामले में नेता लापरवाह क्यों हैं?

locationनई दिल्लीPublished: Oct 28, 2020 05:33:02 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

पत्रिकायन में आपकी बात में यह सवाल पूछा गया था, पाठकों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

2,708 new COVID cases in TN, recovery rate at 94 per cent

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कठोर सजा का प्रावधान जरूरी
चुनावी माहौल में नेताओं को कोरोना संक्रमण से ज्यादा चिंता हार और जीत की है। राजनीतिक पार्टियों की चुनावी बैठकों एवं सभाओं में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ रही हंै। ना ही सामाजिक दूरी का पालन किया जा रहा है और ना ही मास्क का प्रयोग। नेता का अनुसरण जनता करती है। इस स्थिति में जनता से भी कोरोना गाइडलाइन के पालना की अपेक्षा करना व्यर्थ है। यह लापरवाही किसी की जान तक ले सकती है। धार्मिक स्थलों एवं प्रीतिभोज के आयोजनों के लिए जिस प्रकार एक निश्चित संख्या रखी गई है, ठीक उसी प्रकार चुनावी सभाओं में भी 50 से ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर रोक जरूरी है। सामाजिक दूरी एवं मास्क के प्रयोग के साथ इनके आयोजनों की स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए। कोरोना गाइडलाइन का प्रयोग न करने पर कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए।
-उर्मिला सिसोदिया, बेंगलुरु
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फिर कैसे सुधरेंग हालात
वर्तमान में चुनावी दौर में राजनीतिक पार्टियों की बैठकें हों या चुनावी सभाएं, सभी में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। राजनीतिक पार्टियों के कार्यालयों में टिकट की मारामारी और विरोध प्रदर्शनों के दौरान दो गज दूरी और मास्क सब गायब हैं। नामांकन से लेकर चुनावी सभाओं और पार्टी की बैठकों में जा रहे बड़े नेता कई जगहों पर बिना मास्क के ही दिखाई दे रहे हैं। बड़े नेताओं की देखादेखी छोटे नेता भी ऐसा ही कर रहे हैं। इसका परिणाम है कि कोरोना मरीजों का आंकड़ा कम होने के स्थान पर बढ़ता ही जा रहा है। आम जनता को नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करने वाले नेता ही नियमों की अवहेलना करेंगे तो कैसे सुधार की अपेक्षा की जाए? इन परिस्थितियों में कैसे हम महामारी को नियंत्रित रख पाएंगे? सोशल डिस्टैंसिंग, स्वच्छता के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
-डा. अजिता शर्मा, उदयपुर
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चुनावी फायदे पर नजर
भयंकर वैश्विक महामारी के बुरे दौर से देश ही नहीं पूरा विश्व गुजर रहा है। इस बीच भीड़ इकट्ठी न करने व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की नसीहत दी जा रही है। मुश्किल यह है कि राजनेता चुनावी फायदे के चलते भारी भरकम भीड़ जुटाकर खुलेआम रैलियां कर रहे हैं। इससे बड़ी विडंबना देश के लिए क्या हो सकती है कि जिन पर आम लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी है, वे खुद गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे।
-कुन्ज बिहारी मधुकर, तालदेवरी जांजगीर चम्पा, छत्तीसगढ़
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जाने से खिलवाड़
कोरोना महामारी ने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है। इसके बचाव के लिए भारत सरकार भी करोड़ों रुपए प्रचार-प्रसार पर खर्च कर रही है। दूसरी तरफ हमारे नेता सरकार की बनाई गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। सिर्फ और सिर्फ झूठी हमदर्दी प्रकट कर राजनीतिक फायदा उठाने के लिए आम आदमी को गुमराह करते रहते हैं। ये अपने स्वार्थ के लिए जनता की जान से खिलवाड़ करने में भी नहीं चूक रहे। जो नेता कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करता है, उसे दंडित किया जाना चाहिए।
-रघुवीर कपूर, कोटा
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आम जनता बनाए नेताओंं से दूरी
हमारे देश में कायदे कानून आमजन के लिए ही ज्यादा सख्त होते हैं। सत्ताधारियों, नेताओं और दौलत वाले इनकी परवाह ही नहीं करते। शायद इसी वजह से कोरोना गाइडलाइन के मामले में भी नेता लापरवाह हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी बीमारी भेदभाव नहीं करती। नेताओं की लापरवाही आमजन पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि वे आमजन के संपर्क में भी आते हैं। नेता लापरवाह हैं, तो आमजन का फर्ज बनता है कि वे इनसे दूरी बनाकर रखें।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर, पंजाब
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प्रशासन भी लापरवाह
नेता तो लापरवाह हं,ै पर उनके साथ-साथ जनता भी लापरवाह है। गाइडलाइन में दी हुई बातों का जनता भी सही तरीके से पालन नहीं कर रही। प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा। पहले जैसी कड़ाई नहीं की जा रही। गाइडलाइन का सही तरीके से पालन करना आवश्यक है।
-यश हिंदुजा, बिलासपुर
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फिर कैसे जीतेंगे लड़ाई?
कोरोना गाइडलाइन के मामले में नेता लापरवाह हंै। कोरोना से लड़ाई में सरकार फैसला लेती है कि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना होगी। मास्क का प्रयोग आवश्यक होगा, लेकिन नेता सरकार के फैसलों की धज्जियां उड़ा देते हैं। फिर कोरोना से लड़ाई कैसे जीती जा सकती है।
-मुकेश जैन, पिड़ावा
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भारी पड़ रही है लापरवाही
कोरोना महामारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इसका प्रमुख कारण इससे जुड़ी सावधानियों पर ध्यान नहीं देना है। चुनावी सभा एवं रैलियों में नेता खूब भीड़ जुटा रहे हैं और अपनी ताकत दिखा रहे हैं, लेकिन उनकी लापरवाही आम जनता पर भी भारी पड़ रही हैं।
-जानकी वल्लभ शर्मा, जयपुर
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जरूरी है सावधानी
जिस तरह से शीर्ष स्तर के नेता कोविड-19 के चपेट में आए हैं, उससे साफ – साफ जाहिर होता है कि नेता अति आत्मविश्वास में जीते हैं, तभी लापरवाही हो रही है। उन्हें कोविड-19 के खतरे की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और पूर्ण सावधानी से काम करना चाहिए। यदि वे ही सावधानी नहीं रखेंगे, तो आम जनता तक क्या संदेश पहुंचेगा?
-निभा झा, जामनगर, गुजरात
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चुनाव के कारण बढ़ रही है भीड़
कोरोना महामारी अब भी काबू में नहीं आ रही है। इससे बचाव के लिए आम जनता के साथ-साथ सभी दलों के नेताओं को भी सावधानी रखनी चाहिए, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है। जहां चुनाव हैं वहां पर भीड़ ज्यादा है। इसके लिए एक लिमिट तय कर देनी चाहिए या वर्चुअल तरीके से प्रचार-प्रसार की अनुमति देनी चाहिए। इसके बाद भी न समझें, तो उस प्रत्याशी को चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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चिंताजनक प्रवृत्ति
नेता सभाएं आयोजित कर रहे हैं, जिसमें भीड़ हो जाती है। आम जनता ही नहीं नेता भी बिना मास्क के फोटो में दिखाई देते हैं। यह प्रवृत्ति गाइडलाइन के खिलाफ है और कोरोना से लड़ाई में बाधक हैं। यह प्रवृत्ति वाकई चिंताजनक है।
-बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ,़ सीकर
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राजनीतिक वर्चस्व की चिंता
नेता अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कोरोना गाइडलाइन को नजरअंदाज करते हैं और इसका खमियाजा सभी को भुगतना पड़ता है। चुनाव कैंपेन के दौरान वे अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए वे कोरोना गाइडलाइन को लेकर लापरवाह हैं।
-आनंद सिंह बीठूए सींथल, बीकानेर
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कड़ी कार्रवाई जरूरी
जो लोग सरकार में बैठकर गाइडलाइन बना रहे हैं, शायद वे भूल रहे हैं कि यह गाइडलाइन उनके लिए भी है। फिर कोरोना से बचने के लिए बनाई गई गाइडलाइन का नेता पालन क्यों नहीं कर रहे हैं? ऐसे नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
-उगा राम प्रजापत, जोधपुर
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स्वार्थ में सब भूल गए
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में भी राजनेता लापरवाही बरत रहे हैं। समय-समय पर राज्य, राष्ट्र एवं विश्वस्तर पर कोरोना महामारी से बचाव के लिए गाइडलाइन निर्देशित की गई है, तथापि नेताओं का इस तरफ ध्यान ही नहीं है। वास्तव में स्वार्थ, लोभ एवं ताकत के मद में यह नेता यह भूल रहे हैं कि बीमारी किसी को नहीं छोड़ती। ईश्वर इन्हें सद्बुद्धि दे।
-डॉ. अमित कुमार दवे,खडग़दा
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सिर्फ कुर्सी की ङ्क्षचता
विश्वव्यापी कोरोना की बीमारी के लिए गाइडलाइन जारी की गई। राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हंै । इन नेताओं को सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है। उनको न अपने देश की ङ्क्षचता और न ही जनता की।
– प्रकाश हेमावत, टाटा नगर, रतलाम
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