आजकल मानसिक समस्या बढऩे का मूल कारण कोरोना वायरस है। लोग कोरोना से डरे हुए हैं। कोरोना के कारण हुए आर्थिक नुकसान के कारण घर का बजट गड़बड़ा रहा है। इससे तनाव पैदा हो रहा है, जिससे मानसिक समस्याएं बढ़ रही हंै।
-शान्तिलाल पुरोहित, सूरत
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आजकल मानसिक समस्याओं से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ गई है। यदि इसके मूल में जाएं, तो कोरोना से उपजी लॉकडाउन की स्थितियों के कारण फैली बेरोजगारी, भ्रमण पर प्रतिबंध, कोरोना संक्रमण का डर, मानव की यंत्रों पर निर्भरता, शारीरिक श्रम में कमी तथा अनियमित दिनचर्या है !
-कैलाश सामोता, कुंभलगढ़, राजसमंद
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आधुनिक जीवन शैली में अवसाद यानी डिप्रेशन आम बात हो गई है। आजकल तनाव ग्रस्त जीवनशैली के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन यह समस्या बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी तेजी से फैल रही है। अकेलापन, बेरोजगारी, निद्रा में कमी आदि मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। साथ ही साथ पारिवारिक माहौल का सही न होना और नशीले पदार्थों के सेवन से भी मानसिक रोग की समस्या उत्पन्न होती है। इसका निवारण करने के लिए हमें समाज में बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने की जरूरत है ।
-खुशबु वेद, आलोट, मप्र
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मानसिक समस्याओं के बढऩे की वजह कोरोना व लॉकडाउन है। अचानक लॉकडाउन के कारण कई तरह की समस्याएं बढ़ी हैं। लोगों को बड़ा झटका लगा, जिससे कई लोग अवसाद की चपेट में आ गए। नौकरी, बचत, मूलभूत संसाधन खोने के डर से लोगों में डर बना। कोरोना वायरस के डर ने लोगों को मानसिक रोगी बनाया। गुस्सा, नेगेटिव विचार हावी हुए। चिड़चिड़ापन आया। अकेलापन, पारिवारिक कलह, बुजुर्गों की उपेक्षा भी मानसिक समस्याएं बढऩे का कारण हैं।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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वर्तमान समय तकनीक का है। इस दौर में हर कोई समय के साथ चलने के लिए खुद को भूल गया है और तकनीकी चीजों जैसे लैपटॉप, कम्प्यूटर आदि का प्रयोग ज्यादा बढ़ गया ह।ै इन गैजेट्स का ज्यादा प्रयोग करने से मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति इस भागदौड़ भरी जिंदगी से अवसाद का शिकार बनता है। बहुत ज्यादा व्यस्त दिनचर्या मानसिक समस्याओं की जनक है।
-आयुष चौधरी, जयपुर
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आज के समय में मानसिक विकार का सबसे बड़ा कारण बढ़ती हुई बेरोजगारी है। माता-पिता अपने कार्यों में लगे रहते हैं। वे अपने बच्चों को सही गाइडेंस नहीं दे पाते हैं। समय पर रोजगार न मिल पाने के कारण अवसाद की समस्या पैदा हो जाती है।
-मनोज बगडिया, सीकर
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सुख से जीने के लिए आध्यात्मिक, शारीरिक व मानसिक शक्ति में संतुलन आवश्यक है। इन तीनों में से किसी का भी संतुलन बिगडऩा रोग को जन्म देता है। मन और शरीर का आपसी संबंध होता है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। मन का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। मन जितना स्वस्थ, सुंदर और शांत होगा, शरीर भी उतना स्वस्थ और सुंदर होगा। जितना शरीर स्वस्थ होगा, उतनी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता होगी। सत्य यही है कि मन और शरीर का समुचित संतुलन ही हमारे अच्छे स्वास्थ्य की कसौटी है। आधुनिक समय में शारीरिक रोग के साथ मनोरोगों की भी अधिकता हो रही है। योग मनोरोग व शारीरिक रोग के शमन करने में सक्षम है।
-युवराज पल्लव, मेरठ
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वर्तमान में लोगों में मानसिक समस्याएं लगातार बढ़ रही हंै। किसी भी देश की उन्नति और तरक्कीी के लिए वहां के लोगों का स्वास्थ्य उत्तम होना बहुत आवश्यक है। आजकल लोगों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा मानसिक तनाव एवं डिप्रेशन का प्रमुख कारण है। प्रत्येक क्षेत्र में होड़ मची हुई है। जैसे विद्यार्थी परीक्षा में कम अंक आने पर तनावग्रस्त हो जाते हैं।
-जयन्ति लाल, जालोर
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जैसे-जैसे विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी का विस्तार हुआ है, मनुष्य आर्थिक रूप से तो साधन सम्पन्न हुआ है, परन्तु उसका मानसिक स्वास्थ प्रभावित हुआ है। इस समस्या के लिए भौतिकतावाद की अंधी दौड़, संयुक्त परिवारों का विघटन, सामाजिक संम्बधों में निकटता का अभाव, सहनशीलता की कमी, एक दूसरे को समझ न पाने का अभाव जैसे बहुत से कारक जिम्मेदार हैं। आज मनुष्य आभासी दुनिया में भले ही सबसे जुड़ा हुआ हो, परन्तु वास्तविकता में वह अकेला ही होता है। समय के साथ लोगों में आपसी सामंजस्य एवं संघर्षशीलता में भी कमी आई है। वर्तमान समय की महामारी भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार है, जिसकी वजह से लोगों के रोजगार-धंधे प्रभावित हुए हैं। इन सबके अलावा व्यक्तिवाद बढ़ा है। सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का ह्रास तथा मोबाइल का अत्यधिक उपयोग भी बढ़ती मानसिक परेशानियों के लिए उत्तरदायी हैं।
-डॉ. राकेश कुमार गुर्जर, सीकर
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आज हम देखते हैं कि हमारे दिन की शुरुआत हो या फिर रात्रि का अंत, हम बहुत ज्यादा ही मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। इस कोरानाकाल में इसकी उपयोगिता कई गुना बढ़ चुकी। वयस्क दिन-रात कम्प्यूटर पर काम करते नजर आते हैं। युवा वेब सीरीज फिल्मों और सोशल मीडिया पर तो बच्चे गेम्स कि दुनिया में मस्त रहते हैंं। ये चीजें धीरे-धीरे अपना असर हमारी मस्तिष्क पर डाल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नींद में कमी, मोबाइल का अत्यधिक उपयोग, मोबाइल पर गेम्स की आदतों के कारण मस्तिष्क में तनाव उत्पन्न होता है। इससे मानसिक अवसाद का होता है।
-संदीप गढ़पाले, कांकेर, छत्तीसगढ़
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शिक्षण संस्थानों के बंद होने की वजह से विद्यार्थी ऑनलाइन क्लास लेने को मजबूर हैं तथा परिवार के लोग अपने खाली समय में मोबाइल देखते रहते हैं। हर व्यक्ति को हर वक्त भय रहता है कि कोरोना न हो जाए। जाहिर है कि मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग और कोरोना का डर मानसिक समस्या को जन्म दे रहे है।
-रामनिवास भादू, जालोर
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मानसिक समस्या शुरू होती है मानसिक तनाव से और मानसिक तनाव का एक कारण नहीं अपितु कई कारण होते हैं। परिवारों में प्रेम भाव नहीं होता या परिवारों में आर्थिक तंगी भी पारिवारिक सदस्यों में सामूहिक या एकल मानसिक तनाव को जन्म देती है। करोनाकाल में घरेलू हिंसा बढ़ी है। इसके साथ ही धोखा मिलना या कोई चोट मन पर इस तरह की पहुंचती है कि वह जीवन भर के लिए मानसिक समस्या दे जाती है। अपनों के पास रहकर अपनों के बीच रहकर आपसी सौहार्द का माहौल रखकर इन समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए अपने परिजनों और दोस्तों के साथ मेलजोल बढ़ाएं।
-लोकेश शर्मा, चिड़ावा, झुंझुनू
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कोरोना के चलते नौकरी, बचत और यहां तक कि मूलभूत संसाधन खोने के डर से लोगों में चिड़चिड़ापन और गुस्सा पैदा हो रहा है। घरेलू विवाद बढ़ रहे हैं, तो बच्चे भी अछूते नहीं हैं। लॉकडाउन की अवधि लंबी होने का असर मनोविकार के रूप में सामने आने लगा है। इनमें अवसाद और व्यग्रता सबसे आम मानसिक विकार है। बातचीत का माध्यम प्रत्यक्ष रूप से न होकर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम ने ले लिया है। संवाद और आत्मीयता में कमी आने से युवा पीढ़ी में अकेलापन और असहिष्णुता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि जीवन में हमारे अपनों के भावनात्मक सहयोगी बनें।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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महामारी के दौर में लॉकडाउन लागू किए जाने से कई लोगों के रोजगार छिन गए। इसके कारण लोगों का घर चलाना तक मुश्किल हो गया। ऐसी हालत में मानसिक समस्याएं तो पैदा होंगी ही, लेकिन सरकार ने रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान ही नहीं दिया।
-सुरेंद्र चोरडिय़ा, अलवर