scriptआपकी बात, सीबीआई पर बार-बार सवाल क्यों उठते हैं? | Aapki baat: Why do questions arise repeatedly on CBI? | Patrika News

आपकी बात, सीबीआई पर बार-बार सवाल क्यों उठते हैं?

locationनई दिल्लीPublished: Oct 25, 2020 05:39:27 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

BSF दुर्ग कमांडेंट के घर और ऑफिस में CBI ने मारा छापा, पशु तस्करी मामले में पांच घंटे पूछताछ

BSF दुर्ग कमांडेंट के घर और ऑफिस में CBI ने मारा छापा, पशु तस्करी मामले में पांच घंटे पूछताछ

राजनीतिक दखल बंद हो
सीबीआइ देश की महत्त्वपूर्ण जांच एजेंसी है। इस पर बार-बार सवाल उठना चिंता का विषय है। इससे सीबीआइ की साख और कार्यशैली पर भी प्रश्न चिह्न लगता है, जिससे इस जांच एजेंसी पर देश की जनता का विश्वास भी डगमगा रहा है। सीबीआइ पर सवाल उठने का मतलब देश की सरकार पर सवाल उठना है। इसीलिए सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसकी स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर आंच न आने दे। सरकार यह सुनिश्चित करे कि सीबीआइ निष्पक्षता और निष्ठा के साथ कार्य करेे। सीबीआइ पर सवाल उठने के पीछे कहीं न कहीं राजनीतिक हस्तक्षेप और राजनीतिक दबाव के साथ सरकार का पर्याप्त सहयोग नहीं मिलना है। कईं बार राज्यों और केंद्र सरकार के मतभेदों का खमियाजा सीबीआइ को भुगतना पड़ता है। इससे इससे सीबीआई पर सवालिया निशान लग जाता है।।
-रमेश कुमार लखारा, बोरुंदा,जोधपुर
…………………………..
सीबीआइ को सुप्रीम कोर्ट के अधीन किया जाए
भ्रष्टाचार से संबंधित अपराध की जांच, गंभीर आर्थिक अपराधों और अंतरराज्य अखिल भारतीय प्रभाव वाले सनसनीखेज अपराध की जांच के लिए सीबीआइ एक विशेष एजेंसी है। चूंकि यह संस्था केंद्र सरकार के अधीन है, इसीलिए इसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठते हैं। राज्यों में जांच से पहले राज्य से अनुमति लेना अवश्य है। सत्तारुढ़ दल इसकी जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हंै। विपक्ष इस बात का विरोध करता है, तो सत्ता में आते ही उनके सुर भी बदल जाते हैं। चूंकि यह केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए केंद के किसी घोटाले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इसलिए अगर सीबीआइ की पारदर्शिता बढ़ानी है, तो इसे सुप्रीम कोर्ट के अधीन करना होगा।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा
……………………..
स्वतंत्र नहीं है सीबीआइ की कार्यप्रणाली
सीबीआइ सत्ताधारी दल के निर्देश पर कार्य करती है। अधिकतर छापे राजनीतिक विरोधी पार्टियों के नेताओं पर ही पड़ते हैं। दूसरी बात इसके जाल में सत्ताधारी दल के बड़े-बड़े मगरमच्छ तो छोड़ो-छोटी मछलियां भी नहीं फंसती हैं, उनके आका उन्हें बचा लेते हैं। स्पष्ट है कि सीबीआइ राजनीतिक आकाओं के दबाव में कार्य करती है।
-डॉ. प्रकाश मेहता, बेंगलुरु
……………………….
केंद्र सरकार का हथियार
आम नागरिकों को कई केसों में सीबीआइ की पारदर्शिता पर शक हुआ है। सत्तारूढ़ पार्टी सीबीआइ का इस्तेमाल करने की कोशिश करती है। लोगों की यह राय बनने लगी है कि सीबीआइ केंद्र सरकार के हथियार के रूप में काम कर रही है। इसीलिए सीबीआइ पर सवाल उठना लाजमी है।
-कुमेर मावई, नयावास, गुढाचन्द्रजी
……………….
राजनीति से कार्यशैली प्रभावित
सीबीआइ पर बार-बार सवाल उठने के पीछे मुख्य कारण है कि सीबीआइ की स्थापना के समय जो उससे आशा की गई थी, वह पूरी नहीं हो पा रही है। राजनीतिक दबाव से उसकी कार्यशैली निरंतर प्रभावित होती जा रही है। तय मानदंडों के अनुरूप काम नहीं करने के कारण ऐसी संस्थाओं को नुकसान उठाना पड़ता है।
-डॉ.अमित कुमार दवे, खडग़दा
…………………..
विपक्ष के खिलाफ हथियार बनाया
कहने को सीबीआइ एक केंद्रीकृत स्वतंत्र निकाय है, किंतु सत्तारूढ़ पार्टी इस संस्था को अपने प्रभाव में लाने का पूरा प्रयास करती है। गोपनीय सूचनाएं लीक कर दी जाती हैं। उच्च पद का प्रलोभन देकर अधिकारियों को अपने प्रभाव क्षेत्र में लाया जाता है। विपक्ष के खिलाफ हथियार के रूप में भी सीबीआइ का इस्तेमाल किया जाता है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
…………………………….
निष्पक्षता में कमी
जब-जब सीबीआइ की निष्पक्षता में कमी आई है, तब-तब इस पर सवाल उठे हैं। सीबीआइ को एक राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, जिसे बंद किया जाना चाहिए
-पूजा बिश्नोई, श्रीगंगानगर
………………
सीबीआइ को ज्यादा अधिकार दिए जाएं
सीबीआइ केंद्रीय जांच एजेन्सी है, जो आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जांच करती है। हाल ही में सुशांत केस की सीबीआइ जांच पर शिवसेना ने सवाल उठाया। यह पहला मौका नहीं है जब सीबीआइ पर सवाल उठाए गए हैं। सीबीआई भी केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली जांच एजेंसी है। इसके पास उपलब्ध शक्तियां भी एक सीमा में हंै, जिसे और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए।
-सुदर्शन सोलंकी, मनावर, धार, मप्र
……………..
पिंजरे में बंद तोता
सीबीआइ की कार्रवाई पर बार-बार सवाल उठाया जाता है। असल में सीबीआइ के कार्य करने के ढंग से लगता है कि वह केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित है और विपक्षी दलों को नियंत्रित करने के लिए का काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट भी इसको पिंजरे में बंद तोता की संज्ञा दे चुका है।
-श्यामलाल ,साठपुर, धरियावद
………………
टूटने लगा है भरोसा
देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी की प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता का होना बहुत जरूरी है, लेकिन हाल के मामलों में जांच पर पक्षपात के आरोप लगने लगे हैं। इससे लोगों का भरोसा सीबीआइ पर से उठने लगा है। यह गम्भीरता से सोचने का विषय है
-नरेन्द्र पेड़वाल, गांवडी, टोंक
…………………..
केद्र सरकार की कठपुतली
सीबीआइ पर बार-बार सवाल उठते हैं। असल में सीबीाइ राजनीतिक दबाव के कारण अपना काम सही ढंग से नहीं करती है। सीबीआइ केंद्र सरकार की कठपुतली बन चुकी है। ऐसे में वह सही तरीके से कैसे काम कर सकती है?
-खींवराज घांची, मेड़ता सिटी, नागौर
……………………..
स्वतंत्रता से काम करने दिया जाए
जिस प्रकार से सीबीआइ का इस्तेमाल विरोध को कुचलने के लिए किया जाता रहा है, उससे इस पर सवाल खड़े हुए हैं । इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसे पिंजरे में बंद तोते की संज्ञा दे चुका है। आवश्यकता इस बात की है कि इस जांच एजेंसी को स्वतंत्रता से काम करने दिया जाए। तब ही इसकी प्रासंगिकता व उपयोगिता है। अन्यथा यह सरकार की कठपुतली ही बनकर रह जाएगी और जनता का विश्वास पूरी तरह से खो देगी।
-श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ़, अजमेर
……………………

सीबीआइ का दुरुपयोग
चाहे टू जी स्पेक्ट्रम हो या कोयला आवंटन घोटाला, सीबीआइ की भूमिका पर सवाल उठे ही हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सीबीआइ और दूसरी संस्थाओं का गलत इस्तेमाल किया गया। अपराधियों, नेताओं और नौकरशाहों के बीच गठजोड़ बन गया है, जिसके चलते सीबीआइ का दुरुपयोग हो रहा है। एक बड़ा कारण यह भी हैं के सीबीआइ अफसरों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण में वरिष्ठता व योग्यता की जगह राजनीति हावी होने लगी है।
-नरेंद्र रलिया, भोपालगढ़, जोधपुर
…………………….
केंद्र सरकार का प्रभाव
सीबीआइ भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख अन्वेषण एजेंसी है। सीबीआई लगातार आलोचना का सामना कर रही है, जिसके पीछे विभिन्न कारण हैं। भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, हत्याकांड आदि विविध मामलों की जांच का बहुत अधिक बोझ इस संस्था पर है। यह प्रतिनियुक्ति के आधार पर पुलिस अधिकारियों की सेवाएं लेती है, जिसके कारण इस पर सरकार का प्रभाव होता है। राजनीतिक दबाव में काम करने को लेकर सीबीआइ की आलोचना काफी समय से की जा रही है। एक आम धारणा है कि सरकार अपने विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए सीबीआइ का दुरुपयोग करती है। सुप्रीम कोर्ट स्वयं इस संस्था को पिंजरे में बंद तोता कह चुका है। इस संस्था में सुधार करने के लिए इसे स्वतंत्र निकाय के रूप में पुनस्र्थापित करने की कोशिश करनी होगी।।
-मुकेश रणवां, भीराणा, सीकर
…………………………
निष्पक्षता से काम करे
कोई भी संस्था हो, अगर वह सही तरकी से काम नहीं करती तो जनता उस पर सवाल उठाने लगती है। यही सीबीआइ के साथ है। वह सत्ताधारी पार्टी या राजनीतिक पार्टियों की कठपुतली न बनकर निष्पक्षता से काम करे, जिससे उसकी धूमिल होती हुई छवि वापस स्वच्छ बन सके।
-डॉ. पवन बुनकर, अचरोल, जयपुर
…………………….
राजनीतिक हस्तक्षेप
जब सीबीआइ को कोई केस सौंपा जाता है तो लगने लगता है कि अब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। पर सीबीआइ पर आरोप लगने लगे हैं कि वह पिंजरे में बंद तोता है। तमाम तरह के राजनीतिक दखल का सामना करते हुए निष्पक्षता से काम करना मुश्किल हो जाता है। इसका इस्तेमाल केंद्र सरकार ने समय-समय पर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ किया है।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
……………………..
विश्वसनीयता पर सवाल
सीबीआइ कई बार किसी दबाव में आकर या घूसखोरी के कारण बार-बार सवालों में घिरी रहती है। सीबीआइ राजनीतिक मामलों में जांच मानकों में खरा नहीं उतरती। इसलिए उसकी विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
-विकास चौहान, पल्लू, हनुमानगढ़
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो