scriptशराबबंदी: जहर नहीं लोगों की जिंदगी के बारे में सोचो | Alcohol Ban : Think about people's life, not poison | Patrika News

शराबबंदी: जहर नहीं लोगों की जिंदगी के बारे में सोचो

Published: Apr 26, 2016 11:55:00 pm

शराब ने सबको खराब ही किया है।हजारों-लाखों परिवार उजड़े हैं। मध्यप्रदेश
के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश को धीरे-धीरे शराब मुक्त
प्रदेश बनाने की पहल की

Opinion news

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एस. एन. सुब्बाराव गांधीवादी चिंतक
शराब ने सबको खराब ही किया है।हजारों-लाखों परिवार उजड़े हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश को धीरे-धीरे शराब मुक्त प्रदेश बनाने की पहल की है। जब बिहार में सरकार शराब बंदी की ओर कदम बढ़ा सकती है तो फिर मध्यप्रदेश और दूसरे प्रदेश क्यों नहीं। हम देख रहे हैं कि शराब को बढ़ावा देने वाले प्रदेशों ने इसे आमदनी का जरिया मान रखा है। लोगों की सेहत से हो रहे खिलवाड़ की किसी को चिंता नहीं है।

शराब के अभिशाप से मुक्ति पाना तभी संभव हो पाएगा जब सरकारें शराब को कमाई का जरिया बनाने का काम छोड़ दें। यदि यह अनुमान लगाया जाए कि शराब की वजह से चौपट हो रहे घरबार कितने हैं और इससे कितने लोग असमय मौत के शिकार बन रहे हैं तो शराब सेवन के नतीजों की भयावहता का स्वत: ही अंदाज हो जाएगा। शराब के कारण होने वाली बीमारियां के कारण सरकारों का स्वास्थ्य के मद में बजट भी बढ़ रहा है। फिर भी सरकारें क्यों कमाई की चिंता करने में लगी रहती हैं?

नाम की न हो शराबबंदी
मेरा यह मानना है कि शराब बंदी को चरणबद्ध रूप से खत्म करने से काम नहीं चलने वाला। इसके लिए सरकारों को कोई ठोस नीति बनानी होगी। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वाहवाही लूटने के लिए शराबबंदी का ऐलान कर दिया जाए और शराब की बिक्री चोरी-छिपे होती रहे। केरल, हरियाणा व गुजरात सरीखे प्रदेश इसका उदाहरण है जहां पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब की उपलब्धता आसानी से हो जाती है। ऐसे में नाम की शराबबंदी से काम नहीं चलने वाला।

नशामुक्ति के लिए हो काम
सरकारों को इसके लिए माहौल बनाना होगा। जरूरत पड़े तो लोगों से शराब की लत छुड़ाने के लिए नशामुक्ति शिविर भी लगाने होंगे। हो यह रहा है कि शराब माफिया का दबाव सरकारों को ऐसे कदम उठाने ही नहीं देता जिससे पूर्ण शराबबंदी हो सके। आज तो नियम कायदों को ताक में रखकर प्रतिबंधित इलाकों में भी शराब की दुकाने दिखने लगी है। इनका भी कोई तय समय नहीं है। लोग शराब दुकानों को बंद कराने के लिए धरने-प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस उनको ही खदेडऩे में जुट जाती है। सिंहस्थ के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने उज्जैन में पूर्ण शराबबंदी का ऐलान तो कर दिया है पर इसको भी देखना होगा कि यह महज घोषणा ही बन कर नहीं रह जाए। धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए शराबबंदी का सख्ती से पालन करना जरूरी है।

युवा शक्ति का हो इस्तेमाल

मेरा यह भी मानना है कि युवाशक्ति का इस्तेमाल शराब की बुराइयों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए होना चाहिए। क्योंकि काम शराबबंदी के ऐलान मात्र से ही नहीं चलने वाला। जब तक लोगों को इसके खतरे से आगाह नहीं किया जाएगा तब तक ऐसे फैसले ज्यादा असरदार हो पाएंगे इसमें संशय है। मैं जहां भी जाता हूं युवाओं से इस सम्बन्ध में जरूर बात करता हूं कि वे शराब के आदी लोगों से शराब छुड़ाने की पहल करें। इसके नतीजे भी आ रहे हैं। मैं तो इस बात को कहना चाहूंगा कि पूर्ण शराबबंदी कोई मुश्किल काम नहीं है। इसके लिए सत्ता में बैठे लोगों की इच्छाशक्ति जरूरी है। बिहार व मध्यप्रदेश जैसी पहल और राज्यों को भी करनी होगी। जब तक सरकारें शराब को राजस्व वसूली का जरिया मानती रहेंगी यह काम मुश्किल ही दिखता है।
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