क्यों बना था एसपीआर रिजर्व
एसपीआर 1975 में यूएस में बनाया गया था। इसकी वजह यह थी कि अरब तेल पर प्रतिबंध से गैसोलीन की कीमतों में इजाफा हुआ और अमरीकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा था। समय-समय पर अमरीका सरकार ने तेल कीमतों में कमी लाने के लिए इसका इस्तेमाल किया है। मैक्सिको की खाड़ी में चक्रवाती तूफानों से ढांचागत सुविधाओं के प्रभावित होने पर भी एसपीआर का उपयोग किया गया है।
क्या अन्य देशों में भी है ऐसा रिजर्व
यूएस के अलावा इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आइईए) के अन्य 29 सदस्य देशों के पास ऐसा ही रिजर्व है। इसमें यूके, जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी हैं। इन देशों को 90 दिनों के नेट ऑयल इम्पोर्ट के बराबर आपात स्थिति के लिए रिजर्व रखना जरूरी है। दुनिया के दूसरे सबसे उपभोक्ता देश चीन में 15 वर्ष पहले एसपीआर बनाया गया था। चीन ने सितम्बर में अपनी पहली तेल रिजर्व नीलामी आयोजित की। भारत में भी एसपीआर है।
बाजार में कैसे आएगा यह तेल
अमरीकी राष्ट्रपति एक ही समय में आइईए के अन्य सदस्यों द्वारा रिजर्व में कमी के साथ एसपीआर रिलीज का समन्वय कर सकते हैं। भारत और चीन ऐसे पहले उदाहरण होंगे, जिसमें अमरीका ने एक-एक रिलीज में इन दो देशों को शामिल किया है। बिक्री के समय ऊर्जा विभाग आमतौर पर ऑनलाइन नीलामी का आयोजन करता है, जिसमें ऊर्जा कंपनियां तेल पर बोली लगाती हैं। अमरीका के राष्ट्रपतियों ने अब तक तीन बार एसपीआर से आपात बिक्री को अनुमति दी है। वर्ष 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान, 2005 में कैटरीना तूफान के बाद और वर्ष 2011 में ओपेक सदस्य लीबिया में युद्ध के दौरान इसका उपयोग किया गया।
क्योंकि : जानना जरूरी है…
1.5 बिलियन बैरल कच्चा तेल था सितम्बर तक ओईसीडी देशों के पास। यह कोविड से पहले 15 दिन की वैश्विक मांग के बराबर है।
4.4 मिलियन बैरल एसपीआर से रोजाना यूएस से शिप किया जा सकता है। राष्ट्रपति के फैसले के बाद बाजार में तेल आने में केवल 13 दिन लगते हैं।